अग्निपथ के विरोध में सड़कों पर हंगामा
सरकार के इस फैसले के बाद युवाओं की प्रतिक्रिया देश के अलग-अलग हिस्सों से देखने को मिल रही है, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बिरला नगर रेलवे स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ। युवाओं ने स्टेशन पर तोड़ फोड़ की उसके बाद रेलवे ट्रेक पर कुर्सियां फैंक दी, टायरों में आग लगा दी और रेल परिवाहन बाधित कर दिया। वही बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से विरोध प्रदर्शन देखा गया, जहां पर सेना की तैयारी कर रहे छात्र सड़कों पर आ गए और पुतला जलाकर सड़कों पर चक्काजाम कर दिया। बिहार के ही बक्सर जिले से गुस्साए छात्र नजदीकी रेलवे पटरियों पर पहुंचकर रेलवे परिवहन को बाधित कर दिया ।इसके अलावा राजस्थान के सीकर और जयपुर से भी छात्रों के विरोध प्रदर्शन की हो रहे हैं।
जानिए क्या अग्निपथ योजना
बीते सोमवार को केंद्र सरकार ने सेना भर्ती के लिए नई नीति अग्निपथ का ऐलान किया है। इसकी जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना के प्रमुखों के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में दी।राजनाथ सिंह ने बताया की थल सेना वायु सेना और जल सेना ने फैसला किया है कि अब नॉन कमीशन रैंक की भर्तियां अग्निपथ योजना के तहत की जाएंगे यानी सिपाही सेलर या एयर मैन बनने के लिए अग्नि पथ पर चलकर अग्निवीर बनना होगा। आपको बता दें कि इस योजना के तहत सैनिकों की भर्ती 4 वर्षों के लिए की जाएगी। चार साल की नौकरी के बाद ही वे परमानेंट सेटलमेंट के लिए आगे बढ़ पाएंगे। भर्ती अग्निवीरों के 25 फीसदी ही सैनिकों को स्थाई सेवा देने का मौका मिलेगा। बाकी अग्निवीर नौकरी से बाहर हो जाएंगे, जिनके पुनर्वास के लिए भी सरकार ने एक रोडमैप बना रही हैं, ऐसा सरकार का दावा है।
जानिए पहले कैसे होती थी सेना में भर्ती
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती के एलान के बाद छात्रों को कई आशंकाओं से भर दिया है। इससे पहले भर्ती को लेकर सामान्य नियम था। पहले एक विज्ञापन के जरिए इसकी जानकारी दी जाती थी और खुली भर्ती की तरह इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता था। इसके बाद एक फिजिकल, मेडिकल और रिटर्न टेस्ट के बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिवेशन के बाद भर्ती पूरी कर ली जाती थी। इस भर्ती के जरिए सेना में सेवाएं देने के लिए 17 सालों का समय मिलता था। इसके साथ ही रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी दी जाती थी। इसके अलावा नौकरी के दौरान सस्ते समान के लिए कैंटीन और सस्ते इलाज के लिए हेल्थ स्क्रीम भी दी जाती थी।