12 साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर पांचवीं और आठवीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न से कराने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने आवश्यक तैयारियां कर ली हैं। निर्णय लेने जल्द ही बैठक होगी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाओं को समाप्त कर दिया गया था। अधिनियम में किसी भी विद्यार्थी को आठवीं तक फेल नहीं करने की बात कही गई थी। हालांकि शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाए रखने 2017-18 में अधिनियम में संशोधन कर राज्यों को पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं करवाने के अधिकार दिए गए थे।
सत्र 2019-20 में बोर्ड परीक्षाएं शुरू हुई थीं, पर कोरोना के प्रभाव के चलते परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया। 2020 में भी परीक्षाएं नहीं हुईं। अब 2020-21 सत्र की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर करवाने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
आठवीं तक के बच्चों को सामान्यत: सात मासिक परीक्षाओं सहित अद्र्धवार्षिक, वार्षिक परीक्षाएं देना होती हैं। लेट हुए सत्र 2020-21 अद्र्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। वार्षिक परीक्षाएं मार्च 2022 में होंगी।
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नींव हो रही थी कमजोर
दरअसल पिछले कई सालों से कक्षा 5 वीं 8 वीं से बोर्ड खत्म कर देने और अनुत्र्तीण नहीं करने के कारण बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता कमजोर होने के बाद भी उन्हें अगली कक्षा में पहुंचा दिया जाता था, इस कारण वे आगे की कक्षाओं में काफी परेशानी का सामना करते थे, कई विद्यार्थी तो कक्षा ९ वीं के बाद आगे ही नहीं बढ़ पाते थे, लेकिन अब इस बदलाव से निश्चित ही बच्चों की नींव मजबूत होगी।