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न्याय व्यवस्था से बच निकलते हैं बड़े अपराधी

locationभोपालPublished: Nov 13, 2019 12:30:38 pm

Submitted by:

hitesh sharma

शहीद भवन में नाटक ‘आधी रात के बाद’ का मंचन

न्याय व्यवस्था से बच निकलते हैं बड़े अपराधी

न्याय व्यवस्था से बच निकलते हैं बड़े अपराधी

भोपाल। रंगशीर्ष संस्था की ओर से सोमवार को शहीद में सोमवार को नाटक ‘आधी रात के बाद’ का मंचन किया गया। डॉ. शंकर शेष द्वारा लिखित इस नाटक का निर्देशन प्रदीप अहिरवार ने किया। एक घंटे के इस नाटक में पांच कलाकारों ने अभिनय किया है। नाटक के माध्यम समाज के ऐसे चेहरे को उजागर किया गया, जो अपने आप को ईमानदार दिखाने की कोशिश करता है। ये कानून और न्याय व्यवस्था को अपने बल पर प्रभावित करने की कोशिशें करता है। इस पूरी व्यवस्था की पोल एक चोर आकर खोल देता है।

नाटक की शुरुआत जज के घर से होती है। जहां एक चोर घुस आता है। ये चोर कई मामलों में जेल में बंद हो चुका है, एक तरह से वह जेल में रहने का आदि है। फिलहाल वह जेल से बाहर है और फिर जल्द ही जेल जाना चाहता है। वह जज के माध्यम से पुलिस को फोन कर बुलाने का आग्रह करता है। जज काफी धैर्य से उससे पूछते हैं कि आखिर उसे जेल जाने की इतनी जल्दी क्यों है? चोर काफी देर तक जज को इधर-उधर की बातों में उलझाता रहता है और बार-बार पुलिस को फोन पर बुलाने का अनुरोध करता रहता है। इस बीच चोर अपने चोरी और सजा के दौरान के किस्से और अनुभव जज को सुनाता है।

बिल्डर ने की थी पत्रकार की हत्या

चोरी अपने घर की स्थिति के बारे में जज को बताता है। वह कहता है कि उसे चोरी के गलत इल्जाम में पुलिस ने पकड़ लिया और उसके बाद झूठे गवाह पेश करके दोषी भी करार कर दिया गया। पुलिसवालों ने प्रमोशन पाने के लिए यह सब किया। इतना ही नहीं, अदालत में उसका केस लडऩे वाला वकील भी पुलिस के हाथों बिक जाता है।

वह कहता है कि बूढ़े मां-बाप और एक बेटी को पालने की जिम्मेदारी उस पर है। लेकिन जेल में रहते हुए वह कोई काम करके उनका पालन पोषण नहीं कर पाता। वह जेल से भागकर अपना भेष बदल चुका है, लेकिन कम पढ़ा-लिखा होने के कारण कोई नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है।

वह समाज की कुरीतियों, नकली दवाई बनाने वाली कंपनियों के बारे में बात करते हुए कहता है कि सरकारी इनकी मनमानी के आगे बेबस क्यों है। अंत में वह बताता है कि अगली सुबह एक पत्रकार हत्याकांड में सुनवाई होना है। बिल्डर ने चाल पर इमारत खड़ी करने के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार की हत्या कर दी थी। जज कहता है कि जब चोर किसी को न्याय दिलाने के लिए आवाज उठा सकता है तो उसे इस पद पर रहकर न्याय करना ही होगा।

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