अन्य राज्यों की भाषा भी सिखाएंगे
स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ट्वीट कर यह अहम जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि क्या भाषा जोडऩे का आधार नहीं बन सकती? स्कूल शिक्षा मंत्री का कहना है कि मध्य प्रदेश का विद्यार्थी अन्य राज्यों में जाकर उन्हीं की भाषा में संवाद कर सके. इसलिए अब विद्यार्थियों को अन्य राज्यों की भाषा भी सिखाएंगे।
इंदर सिंह परमार ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा- तेलुगु क्यों नहीं सीखनी चाहिए, मराठी क्यों नहीं सीखनी चाहिए, पंजाबी क्यों नहीं सीखनी चाहिए? अलग-अलग राज्यों की भाषाएं मध्य प्रदेश का विद्यार्थी क्यों नहीं सीख सकता? क्या भाषा जोडऩे का आधार नहीं बन सकती? प्रदेश भर में हमने 52 जिलों में 53 स्कूलों का चयन किया है, जहां अलग-अलग राज्यों की भाषाएं सिखाई जाएंगी।
उन्होंने कहा -इसमें शाजापुर का भी एक स्कूल शामिल है। ईएफए के अंतर्गत ओपन बोर्ड के अधीन करके इन स्कूलों में हमने नए प्रयोग शुरू कर दिए हैं। इन 53 स्कूलों में हम देश भर के विभिन्न प्रांतों में बोली जाने वाली भाषाएं सिखाएंगे। हमारे विद्यार्थियों को अन्य प्रांतों की भाषाओं का ज्ञान भी होना चाहिए।
यह भी पढ़ें : फ्री में शादी : संत की तस्वीर के लिए फेरे, न लिया दहेज न बजाए बैंड-बाजे, मेहमानों को भी सिर्फ नाश्ता उनका कहना है ताकि मप्र का विद्यार्थी बाहर राज्यों में जाकर उन्हीं की भाषा में उनसे संवाद कर सके। जैसे मप्र का विद्यार्थी अगर तमिल जानता है तो तमिलनाडु में जाकर उनकी भाषा में उनसे बात करेगा तो वहां के लोगों को लगेगा कि हिंदी भाषी लोग हमारी मातृभाषा का सम्मान करते हैं तो स्वाभाविक रूप से हिंदी के प्रति उनका सम्मान बढ़ेगा और हिंदी के प्रति उनका विरोध स्वाभाविक रूप से समाप्त हो जाएगा। इसलिए हिंदी भाषी राज्यों को यह जिम्मेदारी बनती है। मप्र देश का हृदय स्थल है और मप्र देश भर में पहला राज्य होगा, जहां अन्य राज्यों की भाषाओं को सिखाने का यह प्रयोग होगा।