प्रदर्शनकारियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव अब नजदीक है ऐसे में सरकार वोट की राजनीति कर रही है जहां से सरकार को ज्यादा लाभ मिल रहा है सरकार उनकी मांगे पूरा कर रही लेकिन नियमितीकरण मांग को लेकर सरकार ने अब तक कोई आश्वासन नहीं दिया है। जब तक मांगें पूरी नहीं कर्मचारी प्रदर्शन करते रहेंगे।
इसके पहले मप्र कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडेय ने बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जितने भी कर्मचारी 10 वर्ष से अधिक की सेवा वाले कर्मचारी है, उन्हें नियमित किया जाए। इसे आठ माह का समय बीत चुका है, इसके बाद भी शासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इस तरह न्यायालय की अवमानना की जा रही है। कर्मचारियों को न तो सेवा शर्तों का लाभ मिल रहा है और न ही शासन कर्मचारियों की सुध ले रहा है। इसे लेकर हम कई बार मांग कर चुके हैं। इसलिए गांधी जयंती के मौके पर यह सत्याग्रह किया जा रहा है।
धरना प्रदर्शन को लेकर बड़ा विवाद
इधर, सवर्ण, ओबीसी और अल्पसंख्यकों के संगठन सपाक्स को अपने आगामी 30 सितंबर को होने वाले सम्मेलन के लिए कलियासोत मैदान देने पर बड़ा विवाद हो गया है। सपाक्स के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी ने प्रशासन पर जातिगत भेदभाव करने के गंभर आरोप लगाए हैं। त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि उनके संगठन को शहर से बाहर मीटिंग करने के लिए मैदान दिया गया है। जबकि अजाक्स को शहर के अंदर टीटी नगर दशहरा मैदान में सम्मेलन करने के लिए जगह दी गई है।
त्रिवेदी ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कई संगठनों को यादगार ए शाहजहांनी पार्क धरना प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। राहुल गांधी की रैली के लिए कांग्रेस को प्रशासन ने भेल दशहरा मैदान दिया था। जबकि बीजेपी के सम्मेलन के लिए जम्बूरी मैदान भेल दिया गया है। त्रिवेदी ने पूछा कि जब सभी राजनैतिक पार्टियों और संगठनों को शहर के अंदर ही धरना प्रदर्शन के लिए प्रशासन मैदान देता है, तो सपाक्स को फिर क्यों शहर के बाहर कलियासोत मैदान में रैली करने को कहा गया है।