जब्त नक्सली साहित्य और कागजों से पता चला कि उनके निशाने पर वे ग्रामीण थे, जिन्हें वे पुलिस के मददगार मानते हैं। उनकी सूची तैयार की गई थी। पुलिस अफसरों और सुरक्षाबलों को भी निशाना बनाने की तैयारी थी। प्रदेश में ऑपरेशन का जिम्मा नक्सली कमांडर नागेश उर्फ राजू तुलावी को सौंपा गया था।
एंटी नक्सल ऑपरेशन आइजी साजिद फरीद सापू ने बताया कि नागेश पहले भी प्रदेश में नक्सली गतिविधियां आगे बढ़ाने की कोशिश कर चुका था। हालांकि ग्रामीणों से सहयोग नहीं मिलने के कारण वह अपने मंसूबे में सफल नहीं हो सका था।
फरार नक्सलियों की तलाश जारी
मुठभेड़ के बाद फरार 10-12 नक्सलियों में एक को गोली लगने की सूचना है। बालाघाट में कई नक्सली कैंप लगाए थे। उन्हें पकड़ने सर्चिंग अभियान चल रहा है।
तेंदूपत्ता फड़ों से उगाही में नाकाम
नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, डिंडौरी, मंडला में फोर्स की सख्ती से नक्सली तेंदूपत्ता फड़ों से उगाही करने में नाकाम रहे हैं। हालांकि कुछ फड़ों पर दशहत के लिए आगजनी की थी।
कुख्यात नक्सली और कमांडर धामा की गतिविधियां कई बरसों से सामने आई हैं। सूत्र बताते हैं, पैर में गैंगरीन होने से अब वह सक्रिय नहीं है। वह छत्तीसगढ़ के जंगलों में रह रहा है। इसके बाद मप्र में नक्सली विस्तार का जिम्मा नागेश संभाल रहा था। सूबे में सक्रिय टांडा दलम का सहयोग करने के लिए विस्तार-2 के नक्सली पहुंचे थे। इसी दौरान मुठभेड़ हुई और नागेश, मनोज और महिला नक्सली रामे की मौत हुई थी।
वहीं एक दूसरे मामले में रतलाम के उदयपुर में गला रेतकर एक युवक की हत्या के मामले में एनआइए और पुलिस रतलाम शहर में भी स्लीपर सेल की तलाश में है। पुलिस को इनपुट मिला है कि उदयपुर कांड के आरोपियों ने बांसवाड़ा के साथ रतलाम में भी स्लीपर सेल का गठन किया है।