भोपाल

MP बिजली विभाग के अजब गजब कारनामों पर हुआ बड़ा खुलासा

– जानें यहां होने वाली कमीशनखोरी, बर्बादी से लेकर आर्थिक गणित तक सबकुछ
– पत्रिका के खुलासे से सामने आया सच
– 500 करोड़ की मशीनरी होने लगी कबाड़
– कर्ज लेकर खरीदी गई मशीनरी पर हर साल 35 करोड़ के ब्याज का बोझ
– प्रदेश में कई जगहों पर ट्रांसफार्मर नहीं, लोग कर चुके शिकायत

भोपालJun 24, 2022 / 09:51 am

दीपेश तिवारी

भोपाल@जितेंद्र चौरसिया

प्रदेश में बिजली के मामलों में अजब-गजब कारनामे सामने आए हैं। एक तरफ लोग बिजली के उपकरणों ट्रांसफार्मर, मीटर और कंडक्टर (खुले तार) के लिए परेशान हो रहे हैं तो दूसरी तरफ ये गोदामों में कबाड़ हो रहे हैं। इसका खुलासा हुआ है पत्रिका की पड़ताल से।

जनवरी में पत्रिका ने जानकारी निकाली थी कि गोदामों में रखे कितने उपकरण और मशीनरी कबाड़ हो चुकी हैं। तब सामने आया था कि इन उपकरणों में कइयों की गारंटी खत्म हो चुकी है या जल्द ही खत्म होने वाली है।

उस दौरान इन सामानों की कुल कीमत 500 करोड़ आंकी गई थी। फिर छह बाद जब जानकारी निकाली गई तो स्थिति जस की तस थी। इधर, इतने बड़े पैमने पर इन उपकरणों की खरीदी के पीछे कमीशनखोरी का खेल भी सामने आ रहा है।

यहां सवाल यह भी है कि जब पिछली खरीदी के उपकरणों का ही उपयोग नहीं हुआ था तो नई खरीदी क्यों की गई और वह भी कर्ज लेकर।

ट्रांसफार्मर पर तीन साल की गारंटी
हर टांसफार्मर पर तीन साल की गारंटी होती है। अगर उसकी गारंटी पीरियड खत्म हो रही है तो इसका मतलब है कि इसकी खरीदी तीन साल पहले हुई थी। इसी तरह सैकड़ों डिजिटल मीटर भी बेकार हो गए हैं, जिसकी गारंटी साढ़े पांच साल के लिए थी।

उधर कमी, इधर बेकार
सूबे में करीब 18 लाख बिजली उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके यहां मीटर नहीं हैं। यह बिना मीटर वाले कनेक्शन के रूप में हैं। दूसरी ओर बिजली कंपनियों के गोदामों में बरसों से मीटर धूल खाकर कबाड़ हो जाते हैं। इसी तरह 100 से ज्यादा ब्लॉक में आबादी और लोड बढ़ने से ट्रांसफार्मर की कमी आंकी गई है, लेकिन यहां हजारों ट्रांसफॉर्मर खराब होते रहते हैं।

आर्थिक गणित
गोदामों में पड़ी यह सामग्री 500 करोड़ से ज्यादा की आंकी गई है। खरीदी के लिए जो कर्ज लिया गया है, उसके लिए 35 करोड़ रुपए सालाना ब्याज दिया जा रहा है। इस पर तीन साल में 105 करोड़ दिए गए और इस साल 35 करोड़ रुपए दिए जाने हैं।

कहां और क्यों रखे रहते गोदामों में
तीनों बिजली वितरण कंपनियों के स्तर पर मशीनरी खरीदी जाती है। तीनों कंपनियों के मुख्यालय भोपाल, इंदौर और जबलपुर में क्षेत्रीय गोदामों में सामग्री रखी जाती है। इसके बाद मांग के हिसाब से जिलों में सामग्री भेजी जाती है। जिलों में सामग्री रखी रहती है, लेकिन क्षेत्रीय गोदामों से ही जिलों को सामग्री नहीं भेजी गई। इस भंडारण में 10-15 साल पुराने ट्रांसफॉर्मर, केबल व अन्य मशीनरी तक मिली है।

गोदामों के निरीक्षण में बड़ी संख्या में ट्रांसफॉर्मर, मीटर और अन्य मशीनरी बेकार पड़ी मिली। स्थिति में सुधार के लिए कहा गया है। अब फिर रिपोर्ट मांगी है। पिछले सालों की हालत देखें तो स्थिति सुधर रही है। अब भी जो कमियां हैं, उन्हें दुरुस्त किया जाएगा।
– प्रद्युम्न सिंह तोमरमंत्री, ऊर्जा विभाग

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