दरअसल इंदौर बेस्ड अमरीकन सॉफ्टवेयर कंपनी स्पंदन द आइटी पल्स की मदद से कथित फोन टेपिंग और कॉल डिटेल निकालने की चार साल से दबी जांच कांग्रेस सरकार में शुरू हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता व राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र सौंपकर इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।तन्खा ने मध्यप्रदेश पुलिस के आइटी सेल में कंसलटेंट के रूप में काम करने वाले व्हिसिल ब्लोअर प्रशांत पांडेय की 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का हवाला दिया है।
इस मामले की पैरवी तन्खा कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार, पुलिस सहित इंदौर बेस्ड अमरीकन कंपनी को नोटिस जारी किया है, लेकिन चार साल बाद भी सरकार ने इसकी ना तो जांच कराई और ना ही जवाब दिया।
तन्खा को इस मामले की सभी बारीकियां पता हैं। तन्खा यह भी बताया है कि याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। निजता के उल्लंघन के इस मामले की जांच कराकर सरकार रिपोर्ट पेश कर सकती है।
हजारों पुलिसकर्मियों के पास है सॉफ्टवेयर
याचिकाकर्ता की मानें तो मध्यप्रदेश पुलिस के हजारों पुलिसकर्मियों के पास फोन टेपिंग, कॉल डिटेल निकालने से लेकर मोबाइल टॉवर लोकेशन से जुड़े सॉफ्टवेयर हैं।
वे इस सॉफ्टवेयर का हर माह पांच हजार रुपए किराया भी भरते रहे हैं। इसके अलावा कुछ बिल्डर्स और क्रिमिनल के पास भी इस सॉफ्टवेयर के होने का दावा किया है।
इन्हें जारी हुए थे नोटिस
बिना अनुमति के फोन टेपिंग और कॉल डिटेल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार, गृह सचिव सहित सीबीआइ, मिलिट्री इंटेलीजेंस, मध्यप्रदेश एसटीएस, मध्यप्रदेश एटीएस और इंदौर बेस्ड अमरीकन कंपनी स्पंदन द आइटी पल्स को नोटिस जारी किए थे।
शिवराज सरकार में मंत्री, विधायक, आइएएस-आइपीएस अफसर सहित हाइप्रोफाइल लोगों के फोन टेप होने का मामला उठा था। साथ ही देश के अन्य हिस्सों के लोगों के भी फोन टेप किए गए थे।