वहीं दूसरी ओर कई अध्यापक अभी भी शिक्षा विभाग में संविलियन करने और दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा मृत घोषित कर दिए गए शिक्षक कैडर को पुनर्जीवित करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल वित्तमंत्री जयंत मलैया द्वारा सोमवार को विधानसभा में इसके लिए पेश किए गए 9100 करोड़ के पहले अनुपूरक बजट में 1335 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अनुपूरक बजट में मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रमों के लिए 800 करोड़ एवं सीएम स्वेच्छानुदान में 50 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
इसी तरह मुख्यमंत्री श्रमिक सेवा प्रसूति योजना के लिए 600 करोड़ रुपए और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 500 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को अतिरिक्त मानदेय देने के लिए 120 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
11 हजार करोड़ का सप्लीमेंट्री बजट: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का चुनाव से पहले शुरू हुए अंतिम विधानसभा सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री जयंत मलैया ने 11 हजार 190 करोड़ का सप्लीमेंट्री बजट पेश किया. इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को अतिरिक्त मानदेय देने के लिए 130 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा सरकार ने अध्यापकों को 7वां वेतनमान का लाभ देने 299 करोड़, जनजातीय कार्य विभाग के अध्यापकों को 7वां वेतनमान के लिए 204 करोड़, प्याज और लहसुन की फसल पर प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया. इसके लिए सरकार ने बजट में 448 करोड़ों रुपए का प्रावधान किया. इसके अलावा मनरेगा के लिए सरकार ने 500 करोड़ और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत सचिव व्यवस्था के लिए 360 करोड़ रुपए का प्रावधान किया.
इससे पहले अध्यापकों ने दिखाई ताकत, मांगा शिक्षा विभाग…
वहीं इससे पहले 24 दिसम्बर को अध्यापक आंदोलन मध्यप्रदेश के तहत चिलचिलाती गर्मी और भारी बारिश की संभावनाओं के बीच हजारों अध्यापक मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एकत्रित हुए और सरकार को अपनी एकता दिखाते हुए शिक्षा विभाग की मांग की। वहीं सोमवार से राज्य अध्यापक संघ के प्रांताध्यक्ष जगदीश यादव अपने साथियों के साथ आमरण अनशन पर बैठे।
ये किया था ऐलान
बता दें कि मध्यप्रदेश के अध्यापक शिवराज सिह की वादाखिलाफी से नाराज हैं। सीएम शिवराज सिंह ने अध्यापकों को वादा किया था कि अब कोई भी अध्यापक नहीं रहेगा। नए शिक्षा सत्र में सभी अध्यापक, शिक्षक कहलाएंगे और शिक्षा विभाग के कर्मचारी माने जाएंगे।
बता दें कि मध्यप्रदेश के अध्यापक शिवराज सिह की वादाखिलाफी से नाराज हैं। सीएम शिवराज सिंह ने अध्यापकों को वादा किया था कि अब कोई भी अध्यापक नहीं रहेगा। नए शिक्षा सत्र में सभी अध्यापक, शिक्षक कहलाएंगे और शिक्षा विभाग के कर्मचारी माने जाएंगे।
दे दी नए संवर्ग के गठन को मंजूरी…
इसके बाद कैबिनेट मीटिंग में एक नए संवर्ग के गठन को मंजूरी दे दी गई। अध्यापक इसी के खिलाफ एकजुट हुए हैं। उनका कहना है कि सभी अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए और दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा मृत घोषित कर दिए गए शिक्षक कैडर को पुनर्जीवित कर उन्हें पदस्थ किया जाए।
इसके बाद कैबिनेट मीटिंग में एक नए संवर्ग के गठन को मंजूरी दे दी गई। अध्यापक इसी के खिलाफ एकजुट हुए हैं। उनका कहना है कि सभी अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए और दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा मृत घोषित कर दिए गए शिक्षक कैडर को पुनर्जीवित कर उन्हें पदस्थ किया जाए।