राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने दोनों को 25-25 हजार रुपए का नोटिस थमाते हुए कहा है कि यदि पेशी पर आकर जानकारी न देने का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं तो उन्हें 25 हजार की जगह ढाई लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा।
दरअसल, उमरिया जिले के अनुपम मिश्रा ने नगर पालिका परिषद चांदिया में हुए निर्माण कार्य, यहां खर्च और भुगतान किए जाने वाली राशि, ऑडिट रिपोर्ट सहित अन्य जानकारी मांगी थी। इसके लिए इन्होंने अलग-अलग 10 आवेदन लगाए थे। वर्ष 2016 में मांग गई जानकारी इन्हें तीन साल बाद भी नहीं दी गई। उस दौरान वहां लोक सूचना अधिकारी नरेन्द्र पाण्डेय थे।
आयोग ने जानकारी देने के लिए कहा, लेकिन जानकारी नहीं दी गई। दूसरी अपील में भी आयोग ने जानकारी देने के निर्देश दिए। उस दौरान हुई तीन सुनवाई के समय लोक सूचना अधिकारी विनोद चतुर्वेदी थे। दोनों ही अधिकारी जानकारी देने के बजाय तर्क देते रहे। आयोग के निर्देश का भी पालन नहीं किया।
इधर, वन्यप्राणी बोर्ड भंग करने की मांग
वहीं एक अन्य मामले में राज्य सरकार द्वारा गठित वन्यप्राणी बोर्ड को आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे ने अवैधानिक बताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर बोर्ड भंग करने का आग्रह किया है। साथ ही कहा है कि यदि बोर्ड भंग नहीं किया जाता तो वे कोर्ट की शरण लेंगे। पत्र में उन्होंने लिखा है कि बोर्ड में कम से कम दो सदस्य अनुसूचित जनजाति के होने चाहिए।
बोर्ड में शामिल एक सदस्य तो नियम विरुद्ध तरीके से राजस्थान के रणथंभोर टाइगर रिजर्व में घूमते हुए पाए गए थे। एक सदस्य के परिवारजन पर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पास आदिवासी समाज की जमीन पर अवैध कब्जा कर रिसोर्ट बनाने का आरोप है। जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी है। एक रिटायर्ड आइएफएस ऐसे हैं जो पिछले 15 साल से मध्यप्रदेश और देश से बाहर रहे हैं।