भोपाल

बड़ी योजना के फेर में अटक गए छोटे प्रस्ताव

– हालात जस के तस, पीपीपी मोड पर होने थे शहर में कई काम

भोपालFeb 01, 2019 / 09:11 am

शकील खान

बड़ी योजना के फेर में अटक गए छोटे प्रस्ताव

भोपाल। शहर के विकास को लेकर कई योजनाएं चल रही हैं। इनमें कहीं मेट्रो सिटी प्रोजेक्ट है तो कहीं स्मार्ट सिटी। ऐसे में पुराने भवनों को निजी भागीदारी से सुधारने के लिए जो प्रस्ताव बने वे ठप पड़े हैं। एक ही जगह पर जहां नई इमारत खड़ी करने की योजना थी अब वहीं पर मेट्रो लाइन के लिए प्वाइंट बन गया। ऐसे में पुराने जो प्रस्ताव बने वे ठप है। विभागों में तालमेल न होने के कारण इससे पहले कई स्थानों पर फिजूल खर्ची की गई।
– नादरा बस स्टैंड

कभी शहर का मुख्य बस स्टैंड था। यहां से चारों दिशा में अलग-अलग बनाए बस स्टैंड पर बसें शिफ्ट कर दी गई, तब यहां विकास कार्य पर ध्यान देना ही बंद कर दिया गया। ये स्टैंड करीब 50 साल पुराना है। करीब चार साल पहले इसमें सुधार को लेकर निजी भागीदारी से योजना बनी। शॉपिंग काम्पलेक्स से लेकर कई दुकानें यहां बनाई जानी थी। लेकिन मौके पर जाकर हालात देखे तो यहां अब तक मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो पाई। बारिश के दौरान परिसर में पानी जमा हो जाता है। खतरे को देखते हुए बस स्टैंड के अंदर लगने वाली कई दुकानें तक बंद हो चुकी हैं। दुकानें भी शेड की तरह बनी हुई हैं। उन्हें पक्का तक नहीं किया गया है। यहां प्रवेश गेट के लिए बैरियर भी लगाया गया, लेकिन उसे शुरू ही नहीं किया गया। अंदर नगर वाहन, ऑटो की प्रीपेड काउंटर भी बनाए गए, लेकिन उनका उपयोग नहीं हुआ, टिकिट खिड़की के लिए बने रूम में सामान भरा पड़ा है।
 

पहले काम हुआ फिर तोड़ दिया

शहर में कई स्थानों पर सालों बाद सीमेंट कांक्रीट की सड़कें बनी। विभागों के समन्वय के ये हाल हैं कि कुछ ही दिनों में इन्हें तोड़ दिया गया। सुभाष नगर में नई सड़क को बीच से खोदा गया है। बताया गया यहां सीवेज लाइन बिछाई जा रही है। इस तरह की स्थिति कई और स्थानों पर है।

इनका कहना

-कुछ न कुछ विवाद के चलते पीपीपी योजना भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। इसका हवाला देकर नगर निगम मूलभूत सुविधाओं पर भी काम नहीं कर रहा है। पीपीपी योजना में करीब एक दर्जन प्रोजेक्ट थे, लेकिन एक पर भी काम शुरू नहीं किया गया है।
-शाहिद अली, पूर्व पार्षद

बस स्टैंड को बेहतर करने योजना थी लेकिन कोई काम नहीं हुआ। सुधरने की बजाय यहां के हालात और भी बुरे हो गए हैं। मुसाफिर परेशान होते हैं।

श्याम सुंदर शर्मा, नादरा बस स्टैंड बचाओ समिति
 

 
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