सुना आपने, जनता की पीड़ा को गरीब आदमी की थाली से अब प्याज भी छिन गया है। जो प्याज 10 से 15 रुपये किलो में बिकता था। उसकी कीमत आज 80 से सौ रुपये किलो तक पहुंच गई है। जी हां, सौ रुपये किलो तक। इससे पहले प्याज 40 रुपये किलो तक बिक रहा था। लेकिन जैसे ही प्याज के दाम 50 के पार हुए तो सरकार के कान खड़े हुए।
दिखावे के लिए आनन फानन में कम कीमत पर प्याज बिकवाने के लिए स्टॉल लगाए गए लेकिन मजेदार बात ये कि जब सरकार 50 रुपये किलो प्याज बेच रही थी। तब मंडियों में प्याज 40 रुपये किलो बिक रहा था। लेकिन आज प्याज सचमुच थोक में ही 70 रु किलो तक बिक रहा है। जिसके दाम खेरची में 100 रु किलो तक हो गए हैं। लेकिन अब न सरकार का कुछ पता है न प्रशासन का। जनता को फिर उसके हाल पर छोड़ दिया गया।
एक नजर प्याज के दाम पर
इंदौर – 70 से 90 रु. किलो
भोपाल – 70 से 100 रु. किलो
ग्वालियर – 60 से 80 रु. किलो
जबलपुर – 65 से 80 रु. किलो
रतलाम – 70 से 80 रु. किलो
इंदौर – 70 से 90 रु. किलो
भोपाल – 70 से 100 रु. किलो
ग्वालियर – 60 से 80 रु. किलो
जबलपुर – 65 से 80 रु. किलो
रतलाम – 70 से 80 रु. किलो
आलू प्याज विक्रेताओं का साफ कहना है कि इस बार अतिवृष्टि की वजह से हर तरह की फसल बर्बाद हुई। प्याज की फसल भी बड़े पैमाने पर खराब हुई। महाराष्ट्र और राजस्थान बड़े पैमाने पर प्याज निर्यात करते हैं। लेकिन इस बार वहां के किसानों ने भी हाथ खड़े कर दिये हैं। जिससे दाम आसमान छू रहे हैं क्योंकि मांग ज्यादा है और आवक कम। इधर सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए प्याज के स्टॉकिस्ट के गोदामों पर छापे मारे तो प्याज व्यापारी भड़क गए। ऐसे में सरकार भी पसोपेश में है कि आखिर करें तो क्या।
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने बढ़ती प्याज की कीमतों पर एक बैठक की थी और दावा किया था कि नवंबर यानि इसी महीने के आखिर तक प्याज के दाम कम हो जाएंगे लेकिन हुआ उल्टा। जो प्याज 50 रु बिक रही थी वो 100 रु किलो तक पहुंच गई। सरकार की कोशिश थी कि अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की और ईरान से प्याज आयात करें। 80 से 100 कंटेनरों प्याज भारत पहुंचने का दावा किया जा रहा था। लेकिन हुआ क्या ये सबके सामने है…
तो आम आदमी हैरानी से सरकार की ओर देख रहा है कि आखिर केन्द्र की मोदी और राज्य की कमलनाथ सरकार आखिर क्यों उसकी चिंता नहीं कर रहे हैं। जबकि पटना में कम से कम आम लोगों के लिए नीतीश सरकार ने 35 रु किलो प्याज मुहैया करवाई है तो फिर एमपी में चंद दिनों तक 50 रु किलो की महंगी प्याज बेचने के बाद सरकार क्यों भाग खड़ी हुई। क्या सरकार जनता को प्याज पर सब्सिडी नहीं दे सकती। अगर नहीं तो कम से कम स्टॉकिस्टों पर कार्रवाई की जाए। वो भी नहीं हो सकता तो केन्द्र के सामने मुद्दा उठाया जाए। वरना माननीय ये समझ लें। ये वही देश है जहां महंगी प्याज की वजह से सरकारें गिर जाया करती है।