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दो सौ से ज्यादा मंडल अध्यक्षों पर नहीं हो पाया फैसला, उम्र के फेर मेंं फंसेंगे 35 से ज्यादा जिला अध्यक्ष

locationभोपालPublished: Nov 18, 2019 08:20:18 am

Submitted by:

Arun Tiwari

 
– भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया जारी
 

दो सौ से ज्यादा मंडल अध्यक्षों पर नहीं हो पाया फैसला, उम्र के फेर मेंं फंसेंगे 35 से ज्यादा जिला अध्यक्ष

दो सौ से ज्यादा मंडल अध्यक्षों पर नहीं हो पाया फैसला, उम्र के फेर मेंं फंसेंगे 35 से ज्यादा जिला अध्यक्ष

भोपाल : भाजपा ने 45 जिलों के मंडल अध्यक्ष तय कर लिए हैं। 56 संगठनात्मक जिलों में से अभी तक 11 जिलों के दो सौ से ज्यादा मंडल अध्यक्षों पर पेंच फंसा हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि उम्र का बंधन और आम सहमति न हो पाने के कारण इन मंडल अध्यक्षों का चयन अटका हुआ है। इस पेंच को सुलझाने के लिए ही रविवार को पार्टी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन महामंत्री सुहास भगत समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं के बीच बैठक हुई।

बैठक में प्रदेश निर्वाचन अधिकारी हेमंत खंडेलवाल और सह निर्वाचन अधिकारी विजेश लुनावत भी शािमल हुए। पार्टी का दावा है कि जल्द ही सभी मंडल अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी। मंडल अध्यक्ष के लिए 35-40 साल तक की उम्र तय की गई थी। मंडल अध्यक्ष तय करते समय पार्टी के जिला निर्वाचन अधिकारी उम्र का वैरीफिकेशन भी कर रहे हैं। प्रदेश में भाजपा के कुल 1023 मंडल हैं।

जिला अध्यक्षों पर उम्र का फेरा :
मंडल अध्यक्ष के चुनाव के बाद पार्टी ने जिला अध्यक्षों के चुनाव पर विचार करना शुरु कर दिया है। यदि जल्द ही सारे मंडल अध्यक्ष तय नहीं हो पाए तो पार्टी जिला अध्यक्षों का चुनाव शुरु कर देगी। जिन जिलों में आधे से ज्यादा मंडल के चुनाव हो गए हैं वहां के जिला अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी।

 

पार्टी ने जिला अध्यक्षों के लिए 50 साल की अधिकतम उम्र तय की है यानी 45 से 50 साल की उम्र के नेता ही जिला अध्यक्ष बन पाएंगे। इस क्राइटेरिया के आधार पर भाजपा के 30 से ज्यादा जिला अध्यक्षों को अपनी कुर्सी छोडऩी पड़ेगी। सूत्रों की मानें तो उम्र और परफॉर्मेंस के कारण जिन अध्यक्षों को बदला जा सकता है उनमें होशंगाबाद, अलीराजपुर, हरदा, रायसेन, विदिशा, सागर, ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, रीवा,सीधी,कटनी, मंडला और बालाघाट जैसे जिले शामिल हैं।

18 माह से नहीं हुई कार्यसमिति की बैठक :
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक पिछले 18 महीनों से नहीं हो पाई है। आमतौर पर भाजपा कार्यसमिति की बैठक 3-4 महीनों में होती रही है। इस बैठक को पार्टी के अंदर महत्वपूर्ण इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें पिछले तीन महीनों के काम की समीक्षा के साथ अगले तीन महीनों के संगठनात्मक कार्यक्रमों की रणनीति तय की जाती है। सूत्रों की मानें तो ये पार्टी पर सरकार न रहने का असर है। राकेश सिंह कहते हैं कि राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हेागी उसके बाद प्रदेश कार्यसमिति की बैठक कर ली जाएगी।


मंडल अध्यक्षों के चयन में कोई पेंच नहीं है, जल्द ही सभी मंडल अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी। मंडल अध्यक्षों के बाद जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरु होगी।

हेमंत खंडेलवाल प्रदेश निर्वाचन अधिकारी, भाजपा

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