भाजपा-कांग्रेस कार्यालय में अर्पित की गई श्रद्धांजलि
स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर सियासत गरमा गई। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय और प्रदेश भाजपा कार्यालय में माधवराव सिंधिया को याद किया गया। कांग्रेस ने पुण्यतिथि मनाने के साथ प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रतिमा लगाने की मांग की। फिलहाल भाजपा इस मामले में चुप है लेकिन पुण्यतिथि जरूर मनाई। उपचुनाव के माहौल में कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि मनाने का फैसला कर भाजपा की उलझने बढ़ा दी। राजनीतिक रस्साकशी के हालात के बीच भाजपा प्रदेश कार्यालय में माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगा दी गई हालांकि इस बीच स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की तस्वीर की जगह 10 मिनट में छह बार बदली गई। अंत में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की तस्वीर के पास माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगाई गई।
स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर सियासत गरमा गई। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय और प्रदेश भाजपा कार्यालय में माधवराव सिंधिया को याद किया गया। कांग्रेस ने पुण्यतिथि मनाने के साथ प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रतिमा लगाने की मांग की। फिलहाल भाजपा इस मामले में चुप है लेकिन पुण्यतिथि जरूर मनाई। उपचुनाव के माहौल में कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि मनाने का फैसला कर भाजपा की उलझने बढ़ा दी। राजनीतिक रस्साकशी के हालात के बीच भाजपा प्रदेश कार्यालय में माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगा दी गई हालांकि इस बीच स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की तस्वीर की जगह 10 मिनट में छह बार बदली गई। अंत में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की तस्वीर के पास माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगाई गई।
माधवराव सिंधिया पर सियासत क्यों?
माधवराव सिंधिया की छवि प्रदेश में जन नेता के रूप में है। माधवराव सिंधिया, ग्वालियर और गुना-शिवपुरी संसदीय सीट में अजेय रहे हैं। कोई भी नेता उन्हें चुनाव नहीं हारा सका। माधवराव सिंधिया का वर्चश्व आज भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं और जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 16 सीटें इसी अंचल में हैं।
माधवराव सिंधिया की छवि प्रदेश में जन नेता के रूप में है। माधवराव सिंधिया, ग्वालियर और गुना-शिवपुरी संसदीय सीट में अजेय रहे हैं। कोई भी नेता उन्हें चुनाव नहीं हारा सका। माधवराव सिंधिया का वर्चश्व आज भी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में हैं और जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 16 सीटें इसी अंचल में हैं।
जनसंघ से शुरू की राजनीति, कांग्रेस में अंत
ग्वालियर में छात्रों का आंदोलन और सरगुजा महाराज के घर में पुलिस कार्रवाई के बाद से राजामाता विजायराजे सिंधिया कांग्रेस से नाराज हो गईं थी और 1967 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। 1967 का चुनाव राजमाता ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में गुना-शिवपुरी से लड़ा और जीत दर्ज की, लेकिन 1971 के चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने बेटे माधवराव सिंधिया को जनसंघ के टिकट पर गुना से चुनाव लड़ाया। माधवराव सिंधिया जीत कर पहली बार संसद पहुंचे। कहा- जाता है माधवराव सिंधिया को हिन्दुत्व की राजनीति रास नहीं आई और 1977 के चुनाव के दौरान जनसंघ का साथ छोड़ दिया और इस चुनाव में वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरे और जीत दर्ज की। हालांकि माधवराव सिंधिया का कांग्रेस ने समर्थन किया और वहां से अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। माधवराव सिंधिया के इस फैसले के बाद से राजमाता और माधव राव सिंधिया के बीच दूरी बढ़ने लगी थी।
ग्वालियर में छात्रों का आंदोलन और सरगुजा महाराज के घर में पुलिस कार्रवाई के बाद से राजामाता विजायराजे सिंधिया कांग्रेस से नाराज हो गईं थी और 1967 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। 1967 का चुनाव राजमाता ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में गुना-शिवपुरी से लड़ा और जीत दर्ज की, लेकिन 1971 के चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने बेटे माधवराव सिंधिया को जनसंघ के टिकट पर गुना से चुनाव लड़ाया। माधवराव सिंधिया जीत कर पहली बार संसद पहुंचे। कहा- जाता है माधवराव सिंधिया को हिन्दुत्व की राजनीति रास नहीं आई और 1977 के चुनाव के दौरान जनसंघ का साथ छोड़ दिया और इस चुनाव में वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरे और जीत दर्ज की। हालांकि माधवराव सिंधिया का कांग्रेस ने समर्थन किया और वहां से अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। माधवराव सिंधिया के इस फैसले के बाद से राजमाता और माधव राव सिंधिया के बीच दूरी बढ़ने लगी थी।
कांग्रेस में शामिल हुए माधवराव सिंधिया
माधवराव सिंधिया 1980 में कांग्रेस में शामिल हो गए। इंदिरा गांधी ने 1980 के लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। जिसके बाद राजमाता, माधवराव से काफी नाराज थीं। राजमाता की नाराजगी के बाद भी माधवराव सिंधिया नहीं माने और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 1984 में भाजपा को रोकने के लिए राजीव गांधी और अर्जुन सिंह ने सियासी रणनीति चली, इस रणनीति के तहत माधवराव सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय सीट को छोड़कर अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ने ग्वालियर पहुंचे और जीत दर्ज की। राजीव गांधी की कैबिनेट में माधवराव सिंधिया केन्द्रीय मंत्री भी रहे।
माधवराव सिंधिया 1980 में कांग्रेस में शामिल हो गए। इंदिरा गांधी ने 1980 के लोकसभा चुनाव में माधवराव सिंधिया को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। जिसके बाद राजमाता, माधवराव से काफी नाराज थीं। राजमाता की नाराजगी के बाद भी माधवराव सिंधिया नहीं माने और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। 1984 में भाजपा को रोकने के लिए राजीव गांधी और अर्जुन सिंह ने सियासी रणनीति चली, इस रणनीति के तहत माधवराव सिंधिया गुना-शिवपुरी संसदीय सीट को छोड़कर अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ने ग्वालियर पहुंचे और जीत दर्ज की। राजीव गांधी की कैबिनेट में माधवराव सिंधिया केन्द्रीय मंत्री भी रहे।
कांग्रेस छोड़कर बनाई नई पार्टी
माधवराव सिंधिया ग्वालियर संसदीय सीट से लगातार पांच बार सांसद रहे। हालांकि 1995 में कांग्रेस में नाराजगी बढ़ी और उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई। माधवराव सिंधिया ने 1996 में मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। हालांकि बाद में माधवराव सिंधिया ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। माधवराव सिंधिया अजेय रहे लेकिन इस दौरान उनकी छवि किसी जननेता के रूप में ही थी।
माधवराव सिंधिया ग्वालियर संसदीय सीट से लगातार पांच बार सांसद रहे। हालांकि 1995 में कांग्रेस में नाराजगी बढ़ी और उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई। माधवराव सिंधिया ने 1996 में मध्यप्रदेश विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। हालांकि बाद में माधवराव सिंधिया ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। माधवराव सिंधिया अजेय रहे लेकिन इस दौरान उनकी छवि किसी जननेता के रूप में ही थी।
अब किसके हैं माधव राव सिंधिया?
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल आए तो भाजपा कार्यालय में माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगाई गई। उसके बाद 30 सिंतबर उनकी पुण्यतिथि पर भी भाजपा कार्यालय में माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगाई गई। दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यालय में भी माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जनसंघ से सियासत शुरू करने वाले माधवराव सिंधिया कांग्रेस के सीनियर लीडर माधनलराव सिंधिया किस दल के हैं भाजपा या फिर कांग्रेस या फिर दोनों ही दल उपचुनाव के माहौल को देखते हुए माधवराव सिंधिया के नाम का सहारा ले रहे हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार भोपाल आए तो भाजपा कार्यालय में माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगाई गई। उसके बाद 30 सिंतबर उनकी पुण्यतिथि पर भी भाजपा कार्यालय में माधवराव सिंधिया की तस्वीर लगाई गई। दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यालय में भी माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जनसंघ से सियासत शुरू करने वाले माधवराव सिंधिया कांग्रेस के सीनियर लीडर माधनलराव सिंधिया किस दल के हैं भाजपा या फिर कांग्रेस या फिर दोनों ही दल उपचुनाव के माहौल को देखते हुए माधवराव सिंधिया के नाम का सहारा ले रहे हैं।
चुनावी जनसभाओं में सिंधिया परिवार बातें?
2020 के उपचुनाव में सपूरा सिंधिया परिवार भाजपा में है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सभाओं में अपनी दादी राजमाता विजायराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया का जिक्र करते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ ग्वालियर चंबल में कांग्रेस के नेता भी माधवराव सिंधिया के नाम का सहारा ले रहे हैं।
2020 के उपचुनाव में सपूरा सिंधिया परिवार भाजपा में है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सभाओं में अपनी दादी राजमाता विजायराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया का जिक्र करते हैं तो वहीं, दूसरी तरफ ग्वालियर चंबल में कांग्रेस के नेता भी माधवराव सिंधिया के नाम का सहारा ले रहे हैं।