मीडिया से बात करते हुए बालेंदु शुक्ला ने कहा कि भाजपा में मेरी उपयोगिता नहीं है। वहां के कार्यकर्ताओं ने स्नेह दिया प्यार दिया। शिवराज सिंह जी ने मुझे पार्टी में लेकर आए, सम्मान में कोई कमी नहीं हुई, लेकिन उपयोगिता नहीं रही। कांग्रेस में मेरे साथी हैं, उन्होंने मुझसे संपर्क किया। मैंने सोचा कि भाजपा में रहना मेरे लिए उचित नहीं, और भाजपा के लिए भी उचित रहेगा।
कांग्रेस मेरा पुराना घर
शुक्ल ने कहा कि मेरा कांग्रेस पुराना घर है। भाजपा के साथी आज भी मेरे मित्र हैं, लेकिन राजनीतिक व्यक्ति हूं। जब मेरी मुलाकात कमलनाथजी और दिग्विजय सिंहजी से हुई तो उन्होंने विचार किया कि मुझे कांग्रेस में आ जाना चाहिए, तो मैंने यह निर्णय लिया।
ऐसा रहा है राजनीतिक सफर
बालेंदु शुक्ला ने सन 1980 से 2003 के बीच कांग्रेस पार्टी के टिकट पर लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़ा। इस दौरान उन्होंने तीन चुनाव में जीत हासिल की और तीन में हार का सामना करना पड़ा। 1980 से 1998 के बीच ग्वालियर की गिर्द विधानसभा सीट (वर्तमान भितरवार सीट) से पांच बार चुनाव लड़ा, जिनमें तीन बार वो जीते और दो बार पराजित हुए। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर साल 2003 में आखिरी बार ग्वालियर विधानसभा सीट से भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें करारी हार मिली थी।
एक नजर
1980 में गिर्द विधानसभा सीट से बीजेपी के श्याम बिहारी मिश्रा को 9262 वोट से हराया
1985 में गिर्द विधानसभा सीट से BJP के पूरन सिंह को 10894 वोट से हराया
1990 में गिर्द विधानसभा सीट से बीजेपी के अनूप मिश्रा से 646 वोट से हारे
1993में गिर्द विधानसभा सीट से बीएसपी के लाखन सिंह यादव को 4013 वोटों से हराया
1998 में बीएसपी के लाखन सिंह यादव से 9652 वोट से हारे
2003 में ग्वालियर विधानसभा सीट से बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर से 34140 वोट से हारे
यादव ने भी छोड़ी भाजपा
कांग्रेस सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले जबलपुर के नेता सत्येंद्र यादव वापस कांग्रेस में लौट आए हैं। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘महाराज’ भी भारतीय जनता पार्टी में घुटन महसूस कर रहे हैं। जल्द ही कांग्रेस में वापस आ जाएंगे।