यह होगा राहुल पर प्रभार!
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल प्रदेश में सक्रीय तो रहेंगे लेकिन, उनके कार्यप्रचार में जनसभाएं काफी कम होंगी और रोड शो और कार्यकर्ता सम्मेलन ज़्यादा होंगे। इसके पीछे पार्टी की आला कमान का मानना है कि, अगर राहुल गांधी जनता के अलावा क्रार्यकर्ताओं में दम फूंकने का काम करेंगे तो उससे बूथ स्तर पर पार्टी को लाभ मिलेगा। इसके अलावा राहुल गांधी का प्रदेश में कम जनसभाएं करने का एक और कारण भी है और वह यह कि, मध्य प्रदेश समेत चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, जिनमें छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम शामिल हैं। इनमें बीजेपी और अन्य दलों की स्थिति कांग्रेस से ज्यादा अच्छी है। वहीं, कांग्रेस के मुताबिक, मध्य प्रदेश में उसकी पकड़ अच्छी है। इसलिए पार्टी आलाकमान ने इन राज्यों में राहुल गांधी की जनसभाएं ज्यादा करने का फैसला लिया है।
यह है कांग्रस की तैयारी
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ प्रदेश में कार्यकर्ताओं को मोबिलाइज़ करने पर फोकस कर रहे हैं। इसलिए पार्टी चाहती है कि, राहुल सिर्फ कार्यकर्ताओं में जोश भरने के काम करने पर फोकस करें। लिहाज़ा जनसभाओं से ज़्यादा उनपर कार्यकर्ता सम्मेलनों की जिम्मेदारी दी गई है। जानकारी यह भी सामने आई है कि, राहुल प्रदेश में 3 किश्तों में दौरा करेंगे। पहला दौरा ओंकारेश्वर से शुरु होगा। अगले चरण में बुंदेलखंड का दौरा तय किया गया है। इस पूरे शेड्यूल को पार्टी हाईकमान और पीसीसी के समन्वय से तय किया जा रहा है। हालांकि, इसके उलट अगर गौर करें तो राहुल गांधी की जनरैलियों का लाभ गुजरात और कर्नाटक में पार्टी को बहुत हद तक मिला था, लेकिन मध्य प्रदेश के रणनीतिकारों का मानना है कि, वहां उन राज्यों के अनुसार फैसला लिया गया था, यहां राहुल को किस जगह पर इस्तेमाल करने से पार्टी को फायदा मिलेगा, यह पार्टी तय कर रही है।