ऐसे में भाजपा के मध्यप्रदेश की वापस सत्ता में पुन: काबिज होने की कोशिशों के संकेत मिल रहे है। लेकिन जानकारों की मानें तो बिना कांग्रेस में सेंध लगाए भाजपा के लिए ये मुमकिन नहीं दिख रहा है, क्योेंकि भाजपा लगातार कांग्रेस के विधायकों के संपर्क में होने की बात कहती रही है।
ये है मामला…
दरअसल इन्हीं सब के बीच नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर तत्काल विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है।
भार्गव ने पत्र में तो प्रदेश की समस्याओं को लेकर सत्र बुलाने की बात कही है, लेकिन इसके पहले उन्होंने मीडिया से कहा कि लोकसभा चुनाव में हार रही कांग्रेस का विधानसभा में भी फ्लोर टेस्ट जरूरी है।
एक ओर जहां इसे भाजपा का उत्साह माना जा रहा है। वहीं जानकार मानते हैं कि भाजपा एक बार फिर केंद्र में आने के बाद मध्यप्रदेश में भी सत्ता में काबिज होना चाहती है। इसी के चलते वह नित नए प्रयासों में जुटी है।
भाजपा नेता लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान दावे करते रहे कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के साथ ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिर जाएगी। चुनाव के दौरान गुना के बसपा प्रत्याशी को कांग्रेस में शामिल करने से नाराज मायावती ने भी समर्थन वापसी की धमकी दी थी।
ऐसे समझें मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार…
दरअसल मध्यप्रदेश में कुल 229 सीटों में से 113 कांग्रेस के पास है। वहीं भाजपा के पास 109 जबकि निर्दलीय 4, बसपा 2 व 1 सपा के पास सीटें हैं।
ऐसे में कांग्रेस को निर्दलीय विधायकों ने समर्थन दे रखा है, जिसके चलते कांग्रेस द्वारा सरकार बनाई गई है। वहीं कांग्रेस के दीपक सक्सेना ने इस्तीफा दे दिया है, वहीं छिंदवाड़ा से अब कमलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं।
यानि 229 सीटों में जिस भी दल के पास 115 विधायक होते हैं। वहीं सरकार बना लेता है। ऐसे में कांग्रेस के पास अपने 113 विधायकों के अलावा 4 निर्दलीय का समर्थन है। जिससे ये आंकड़ा 117 तक पहुंचता है।
लेकिन खास बात ये हे कि 109 विधायकों के साथ भाजपा भी ज्यादा अंतर पर नहीं होने के चलते बाहरी मदद से सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी दिख रही है।
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राजनीति के जानकार डीके शर्मा के अनुसार मध्यप्रदेश में भाजपा द्वारा सरकार बनाया जाना इतना भी आसान नहीं है। उनके अनुसार जहां कांग्रेस पर अपने 113 विधायक हैं।
वहीं गुड्डा जायसवाल वारासिवनी विधायक को मंत्री बना कर वे 114 विधायक सीधे तौर पर अपने पक्ष में कर चुकी है। वहीं अन्य का भी कांग्रेस को समर्थन हासिल है।
कांग्रेस में ही लगानी होगी सेंध…
शर्मा के अनुसार यदि भाजपा मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की सोच रही है तो उसे कांग्रेस में ही सेंध लगानी होगी। तभी वे उस जादुई आंकड़े यानि 115 विधायकों को अपने पक्ष में कर पाएगी।
लेकिन कुछ जानकारों का ये भी मानना है कि अन्य विधायकों जैसे निर्दलीय या बसपा आदि के समर्थन से भी भाजपा सरकार को परेशान कर सकती है। इधर, कांग्रेस बोली: हमारे संपर्क में भाजपा विधायक…
भार्गव के बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी ने कहा कि सच यह है कि भाजपा के कई विधायक हमारे संपर्क में हैं। समय पर वो कांग्रेस के पक्ष में खड़े होंगे।
वहीं दूसरी ओर आज यानि बुधवार को मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री पीसी शर्मा ने रायसेन जिले की बरेली तहसील में बड़ा बयान देते हुए कहा कि 5 साल तो छोड़ों, उसके आगे भी 20 साल तक कांग्रेस की सरकार चलेगी।
ऐसे में लोकसभा 2019 से ठीक पहले हुए चुनावों में भाजपा की हार और कांग्रेस द्वारा किए गए वादे समय पर पूरी तरह से धरातल में नहीं उतर सके, और इस बात को भाजपा जानती थी। ऐसे में जनता भाजपा की एंटी इनकंबेंसी को मात्र 2 से 3 माह में ही भूल गई और यही कांग्रेस के लिए लोकसभा में निगेटिव पॉइंट बनता हुआ दिखा।
वहीं हार में ज्यादा अंतर नहीं होने के चलते भाजपा लगातार लोकसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश में सरकार बनाने की बात भी कहती रही। इसी सब के बीच एग्जिट पोल ने भाजपा का उत्साह बढ़ा दिया और अब वह शायद अपने पूराने प्लान पर वापस आती दिख रही है।
सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं…
इसके पहले भार्गव ने मीडिया से कहा कि एग्जिट पोल से साफ है कि प्रदेश की सरकार चला रही कांग्रेस को प्रदेश में बहुत कम सीटें मिल रही हैं।
विधानसभा मेंं कांगे्रस की स्थिति साफ है, ऐसे में अब सत्र बुलाकर फ्लोर टेस्ट किया जाना चाहिए। उधर, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ग्वालियर में कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं हैै। सीएम अपनी पार्टी के अंतर्कलह से जूझ रहे हैं।
इस वजह से उन्हें जनता की, गरीब की और किसानों की कोई चिंता नहीं है। मध्यप्रदेश का विकास पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है।
उधर, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस मामले में पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा नई सरकार की गठन के साथ ही खुद का बहुमत साबित करने की कोशिश में जुटी हुई है। इन पांच महीनों में उसने चार बार यह कोशिश की। एक बार फिर अगर वे चाहते हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। कांग्रेस हमेशा फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है।
– गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष
– कमलनाथ, मुख्यमंत्री (मध्य प्रदेश)