इससे पहले तक केंद्र और मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार शकाहार को बढ़ावा देने पर जोर दे रही थी। पार्टी में बहुमत शाकाहार को बढ़ावा देने वालों का ही है। यहां तक कि मध्यप्रदेश में स्लॉटर हाउस के विरोध में सरकार के विधायक भी विरोध में जा खड़े हुए थे। खुद सरकार के बड़े चेहरे और पार्टी के बड़े नेता, कई मंचों से शाकाहार अपनाने के बारे में बार बार बातें की जाती हैं, लेकिन अब सरकार का एक्शन प्लान कुछ और ही कहता है। सरकार का आगामी 10 साल का एक्शन प्लान है कि मध्यप्रदेश में मांस का उत्पादन मौजूदा उत्पादन से करीब तीन गुना तक ज्यादा तक पहुंचाया जाए।
ये है पशुपालन विभाग का अगले 10 साल का एक्शन प्लान
विभाग की कोशिश है कि आने वाले समय में मांस उत्पादन में हर साल 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो और ये क्रम बना रहे। सरकार का लक्ष्य है 2021-22 तक मांस उत्पादन को 115 हजार टन तक ले जाए। इससे पहले 2014-15 में मांस उत्पादन 58.89 हजार टन था, जो कि 2016-17 में बढ़कर 71 हजार टन हो गया। सरकार इससे आगे का लक्ष्य भी निर्धारित कर चुकी है। 2024-25 तक मध्यप्रदेश में सालाना मांस उत्पादन 153 हजार टन तक करने का लक्ष्य पशुपालन विभाग ने तय किया है।
मांस उत्पादन पर क्यों खड़े हो रहे हैं सवाल
दरअसल बीजेपी की केन्द्र और राज्य सरकारें हमेशा ही शाकाहार को बढ़ावा देने की पैरवी करती आई हैं। मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां राजधानी भोपाल में ही स्लॉटर हाउस को लेकर जमकर सियासत हो चुकी है। बात ज्यादा दिन पुरानी नहीं है, जब सरकार के विधायक ही राजधानी भोपाल में स्लॉटर हाउस खोले जाने के विरोध में मैदान में ही उतर आए थे। अब सरकार पर सवाल उठाने वालों में विपक्ष ही नहीं, खुद पार्टी के नेता भी शामिल हैं।
मंत्री दे रहे हैं समर्थन में तर्क, बोले आर्थिक मजबूती भी तो देखिए
वही सरकार जो शाकाहार के समर्थन में नजर आ रही थी, मांस उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाने के बाद अब अपने ही बयान से पलटती नजर आ रही है। इस पूरे मामले पर मध्यप्रदेश सरकार के पशुपालन मंत्री अंतरसिंह आर्य का अलग ही लॉजिक शाकाहार-मांसाहार से अलग है। मंत्री अंतरसिंह आर्य का कहना है कि मांस उत्पादन में इस बढ़ोत्तरी को पशुपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों के परिप्रेक्ष्य में भी देखना चाहिए। मांस उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाने से ऐसे लोगों को आर्थिक मजबूती मिलेगी।
अब चूंकि सरकार को अपनी ही बात के पलटने के बाद विपक्ष को कुछ तो लॉजिक देना ही था, सो मंत्रीजी ने दे भी दिया। लेकिन बड़ी बात ये है कि भारतीय जनता पार्टी के खेमे से ही इस एक्शन प्लान के खिलाफ जो आवाजें उठ रही हैं, उन्हें कैसे शान्त किया जाएगा।