उधर, लोकसभा चुनाव में करारी हार से विचलित कांग्रेस भी नगरीय निकायों में जीत के लिए संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में जुट गई है। पार्टी ने मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी हैं। दोनों ही पार्टियों की संगठनात्मक तैयारी जून के पहले हफ्ते से नजर आने लगेंगी। नगरीय निकाय के साथ ही पार्टियों की नजर पंचायत, मंडी और सहकारिता चुनावों पर भी है।
छह माह का रोडमैप तैयार कर रही भाजपा, बूथों पर फोकस
विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद अब भाजपा कोई नुकसान उठाने के मूड में नहीं है। नेताओं का मानना है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में जीत उसके प्रदेश सरकार में वापसी का रास्ता मजबूत करेगी। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लुनावत का कहना है कि जनता ने प्रदेश सरकार को पूरी तरह नकार दिया है। लोग भाजपा के साथ हैं। आने वाले चुनावों में भाजपा को फिर सफलता मिलेगी। पार्टी ने इसके लिए छह महीने का रोड मैप तैयार कर लिया है।
लोकसभा चुनाव में जिन बूथों पर पार्टी कमजोर रही, वहां नए सिरे से बूथ मैनेजमेंट किया जा रहा है। निकाय चुनाव के लिए पदाधिकारियों को अभी से जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के परिणामों को बूथ स्तर पर तीन भागों में बांटा है। पहला जहां पार्टी को बंपर बढ़त मिली है।
दूसरा, वे बूथ जहां बढ़त तो है, लेकिन अंतर बहुत ज्यादा नहीं है और तीसरा, वे बूथ जहां पार्टी को कांग्रेस या दूसरे प्रत्याशी से कम वोट मिले हैं। तीनों स्तर के बूथों के लिए भाजपा अब निकाय चुनाव के लिए अलग-अलग रणनीति बनाने जा रही है।
प्रदेश में जिला योजना समितियों का पुनर्गठन करेगी कांग्रेस
कां ग्रेस ने भी निकाय चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्री और विधायकों से कहा है कि वे इस हार से सबक लेकर नई ऊर्जा और उत्साह के साथ जनता के बीच काम करें, जो कमियां रह गईं थीं,
उन्हें दूर कर आगामी चुनाव में जुट जाएं, ताकि जनता के बीच भरोसा कायम हो सके। सीएम ने कहा है कि हतोत्साहित होने के बजाय जनता की समस्याएं दूर करें, ताकि लोगों को महसूस हो कि ये उनकी सरकार है। आचार संहिता के कारण जो काम बंद थे, उन्हें तेजी के साथ पूरा किया जाए।
वहीं, विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए कमलनाथ ने जिला योजना समिति का पुनर्गठन करने के निर्देश भी दिए हैं। सरकार इसका खाका तैयार कर रही है। सोमवार को हुई कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक में इस पर चर्चा हुई थी। जिला योजना समिति के जरिए सरकार विधायकों को संतुष्ट करना चाहती है।
प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता वाली इस समिति के जरिए विधायकों की अपेक्षाएं पूरी की जाएंगी। प्रभारी मंत्रियों को जिले के विकास कार्य और ट्रांसफर-पोस्टिंग के सारे अधिकार दिए जाएंगे। जिससे विधायकों के मुताबिक उनके जिले में अधिकारियों की पदस्थापना की जा सके।
विकास कार्यों में भी विधायकों को पूरी तवज्जो दी जाएगी। उनसे पूछकर ही प्रभारी मंत्री निर्माण कार्यों से जुड़े फैसले लेंगे। आगामी चुनावों से पहले सरकार चाहती है कि विधायकों की जनता में प्रभावी उपस्थिति हो और वे उत्साह के साथ लोगों के बीच काम कर सकें।