मुरुगन राज्यसभा में क्या मध्यप्रदेश के मुद्दा उठा पाएंगे या पूरे कार्यकाल में कभी मध्य प्रदेश की कोई बात कर पाएंगे? इससे पहले भी कई नेताओं को मध्य प्रदेश से टिकट दिया गया, लेकिन बाहरी नेताओं की पूरी सियासत उनके राज्य या राष्ट्रीय मुद्दों की होती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या मध्यप्रदेश का कोई नेता भाजपा को इस टिकट के लायक नहीं मिला, जो बाहरी नेता को टिकट दिया गया।
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11 सीट में से सात पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस, एक खाली
मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए कुल 17 सीट हैं। इनमें से सात सीट पर भाजपा और तीन पर कांग्रेस काबिज हैं। एक सीट थावरचंद गेहलोत के इस्तीफे से पिछले विनों खाली हुई है। विधानसभा में स्पष्ट बहुमत के कारण इस सीट पर भाजपा का कब्जा लग्गग तय हैं। इस कारण कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारने से भी कदम पीछे खींच लिए हैं। इससे मध्य प्रदेश से ज्योतिरावित्य सिंधिया को राज्यसभा में भेजा गया है। अभी प्रदेश से राज्यसभा में बीजेपी से एमजे अकबर, धर्मेंद्र प्रधान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय प्रताप सिंह, सुमेर सिंह, कैलाश सोनी और संपत्तिया उइके है वही कांग्रेस से राजमणि पटेल, दिग्विजय सिंह और विवेक तन्खा हैं।
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ऐसा क्यों
राजनीतिक पार्टियां सियासी नफे-नुकसान के हिसाब से बाहरी व्यक्ति को भी प्रदेश से टिकट देती रही हैं, लेकिन इस परंपरा पर सवाल उठ रहे हैं। वर्तमान में उपचुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक और स्थानीय गुटों के गणित तक किसी भी प्रादेशिक नेता को टिकट देने से भाजपा को कोई नफा-नुकसान नहीं है। इससे प्रदेश से किसी को टिकट नहीं दिया गया।
ये बाहर के नेता
पश्चिम बंगाल में जन्मे हरियाणा के एमजे अकबर मध्य प्रदेश के कोटे से राज्यसमा सदस्य हैं। धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा के होने के वावजूद मध्य प्रदेश कोटे से राज्यसभा में हैं। पूर्व में भी कई नेताओं को मध्य प्रदेश से मौका दिया गया, जवकि उनका प्रदेश से न कोई नाता रहा और न कभी उन्होंने मध्य प्रदेश के हितों को उठाया। प्रधान का कुछ जुड़ाव मध्य प्रदेश से है, लेकिन वे भी यहां की सियासत नहीं करते।
अब ये आएंगे
उम्मीदवार एल मुरुगन पेशे से वकील हैं। वकालत का 15 साल का अनुभव है। जन्म 29 मई 1977 को नामाक्कल जिले के पारामती में हुआ था। मद्रास विवि से कानून मैं परास्नातक की उपधि प्राप्त की है। वे अभी भी मद्रास हाई कोर्ट में वकालत कर रहे हैं। 11 मार्च 2020 को तमिलनाडू भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। वे राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। मुरुगन अपने कॉलेज के समय से ही आरएसएस के सक्रिय सदस्य रहे हैं। 2011 में राशिपुरम से तमिलनाडू विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उन्हें सिर्फ 730 वोट मतदान का 1.07% मिले थे।