सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि 21 मार्च को जारी यह परिपत्र वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि नए प्रावधानों के जरिए अब विपक्ष की आवाज दबाने और विधानसभा का महत्व खत्म करने की साजिश रची है। विधानसभा अध्यक्ष को चाहिए कि वे विधानसभा को कमजोर करने की कोशिशों और विधायकों के अधिकारों के हनन का पुरजोर विरोध करें, अफसोस है कि वे सरकार के साथ खड़े नजर आते हैं।
– सड़क दुघर्टना के लिए सरकार जिम्मेदार
नेता प्रतिपक्ष ने 17 अप्रैल को सीधी में सोन नदी के जोगदहा पुल पर हुई सड़क दुर्घटना में मृत 25 लोगों की मौत का जिम्मेदार सरकार को बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल प्रत्येक परिवार को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा और उनके परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दे। उन्होंने कहा कि हनुमना बहरी मार्ग का जीवीआर कंपनी को सड़क विकास निगम ने दिया था। इसमें पुल निर्माण भी शामिल था। कंपनी ने पुल निर्माण नहीं करते हुए छह करोड़ रुपए कम करने को कहा। सरकार मान गई। यदि पुल बन जाता तो यह दुर्घटना नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाया कि अब सरकार ने इसी पुल निर्माण के लिए निविदा जारी की है। इसकी लागत 28 करोड़ रुपए बताई है।
2500 से ज्यादा आश्वासन लंबित
सदन में मंत्री आश्वासन तो दे देते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यही कारण है कि मंत्री आश्वासनों से बचना चाहते हैं। विधानसभा की आश्वासन समिति इन पर विचार करती है, लेकिन फिर भी इनकी पूर्ति के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। विधानसभा में इस समय 2500 से ज्यादा आश्वासन लंबित हैं, जिनमें कई आश्वासन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी हैं। कुछ आश्वासन तो 20 साल पुराने हैं।
एक और सेंसरशिप की तैयारी
पहले भी विधानसभा की नियम एवं आचरण समिति ने विधायकों के सवाल पूछने पर सेंसरशिप लगाने की कोशिश की थी। ‘पत्रिका’ ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। आखिर सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा था। अब एक बार फिर से संसदीय कार्य विभाग के इस सर्कुलर को जारी कर सदन में विधायकों को अंधेरे में रखने का तरीका अपनाया जा रहा है ।
ऐसे तारांकित या अतारांकित प्रश्न जो चर्चा में नहीं आ पाते या सदन में मंत्री उनका जवाब नहीं देते उनको भी आश्वासन में लिया जाता है। इससे भ्रम की स्थिति बन जाती है। इस भ्रम को दूर करने के लिए ये सर्कुलर जारी किया गया है।
-नरोत्तम मिश्रा, संसदीय कार्य मंत्री
यह सीधे लोकतंत्र के खिलाफ है। भाजपा सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है। सरकार इस तरह विधायकों के सवालों के जरिए उठने वाले जनता के मुद्दों से नहीं बच सकती। इस तरह तो विधायकों को धोका दिया जाएगा। कांग्रेस इसका घोर विरोध करती है।
-अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष
– यह विषय विचाराधीन है।
– मैं इसकी छानबीन करूंगा।
– पूछताछ की जा रही है।
– इसका संबंध मुख्यत: केंद्रीय सरकार से है।
– मैं केंद्र सरकार से मिलंूगा।
– सदस्यों के सुझावों पर गंभीरता से विचार करूंगा।
– मैं इस पर विचार करूंगा।
– केंद्र सरकार को सुझाव दंूगा।
– मैं देखंूगा कि इस बारे में क्या किया जा सकता है।
– इस बारे में कुछ भी कहने से पहले मैं इसकी छानबीन करूंगा।
– जानकारी एकत्रित की जा रही है।
– रियायतें दी जाएंगी।
– विधिवत कार्यवाही की जाएगी।
– इस संबंध में फैसला शीघ्र किया जाएगा।
– आदेश शीघ्र पारित किए जाएंगे।
– प्रारंभिक जांच करवा ली जाएगी।
– यह कार्य निकट भविष्य में हो जाएगा।
– आवश्यक अनुसंधान किया जाएगा।
– इन जरूरतों को शीघ्र पूरा किया जाएगा।
– सरकार इस संबंध में बातचीत करेगी।
– नियम बनाते समय दिए गए सुझाव का ध्यान रखा जाएगा।
– इस विषय को एक संकल्प के रूप में रखेंगे।
– इस विषय पर पत्र व्यवहार किया जाएगा।
– मैं राज्य सरकार का ध्यान इस ओर रखंूगा और मुझे विश्वास है कि वो उपयुक्त कदम उठाएगी।
– अंतिम रूप से तैयार हो जाने पर प्रतिवेदन की प्रति सदन के पुस्तकालय में रखी जाएगी।
– मैं समझता हंू कि ये किया जा सकता है।
– यदि सदस्य का कथन सत्य है तो मैं इस संबंध में छानबीन करवा दंूगा।
– यह सुझाव कार्रवाई के बारे में है इस पर विचार किया जाएगा।
– जानकारी एकत्रित की जा रही है और यह सदन के पटल पर रख दी जाएगी।
– सदस्यों के प्रश्नों पर विचार किया जाएगा और उनको परिणाम की सूचना दे दी जाएगी।