राज्य की आय का सबसे बड़ा साधन टैक्स ही है। इसमें उद्योगपतियों सहित आमजन से मिलने वाला टैक्स भी शामिल है।
सरकार आमजन से टैक्स वसूल लेती है, लेकिन व्यापारियों, उद्योगों और औद्योगिक घरानों में मामले में हाथ बंधे रहते हैं। विभिन्न प्रकार के टैक्स के साढे़ सात हजार करोड़ रुपए डूबत खाते में चले गए।
राज्य सरकार ने हाल ही में पेश किए गए बजट में स्वीकार किया है कि टैक्स के ७४९२ करोड़ ६१ लाख रुपए वसूले ही नहीं जा सके। ४४८२.६९ करोड़ रुपए विवादित और ३००९.९२ करोड़ रुपए अविवादित खाते में डाले गए हैं। अनुमान के मुताबिक राजस्व वसूली नहीं हो सकी। जीएसटी लागू होने के बाद खजाने को और झटका लगा।
पेट्रोलयम पदार्थों पर छोड़कर राज्य पर टैक्स
लगाए जाने के अधिकार छिनने के बाद सरकार लोगों से निकायों के जरिए टैक्स वसूलने की तैयारी में है।
साल दर साल बढ़ती गई रकम
पिछले पांच वर्षों की डूबत खाते की रकम पर नजर डाली जाए तो इसका ग्राफ बढ़ा है। पांच साल पहले यानी वर्ष २०१३-१४ में यह राशि १८८४.७६ करोड़ रुपए थी। इसके एक साल बाद यह बढ़कर २५२९.६२ करोड़ रुपए हो गई। साल-दर साल यह बढ़ते-बढ़ते अब ७४९२.६१ करोड़ रुपए तक जा पहुंची।
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