मध्यप्रदेश की सियासत का शायद ये पहला मौका है जब विधानसभा अध्यक्ष पर ही सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल उठाए जाने की वजह प्रह्लाद लोधी की सदस्यता को लेकर स्पीकर की ओर से की गई वो कार्रवाई है, जिसके चलते पवई विधायक प्रह्लाद लोधी की सदस्यता को रद्द कर दिया गया। हालांकि भोपाल की स्पेशल कोर्ट के फैसले के खिलाफ जब विधायक प्रह्लाद लोधी हाईकोर्ट पहुंचे तो उन्हें सजा पर स्टे मिल गया। लेकिन बीजेपी का आरोप है कि विधानसभा स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए महज एक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए न केवल जल्दबाजी में कार्रवाई की बल्कि अब नेता प्रतिपक्ष को मिलने का समय भी नहीं दे रहे हैं।
बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने प्रह्लाद लोधी की सदस्यता खत्म करने का पूरा षडयंत्र रचा और विधानसभा अध्यक्ष ने भी इसमें शामिल रहे। राज्यपाल से न्याय की गुहार लगाने के बाद बीजेपी को न्याय की उम्मीद है। उसका कहना है कि राज्यपाल ने पूरी बात को सुना है और वैधानिक कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं प्रह्लाद लोधी के विधानसभा के शीतकालीन सत्र में शामिल होने पर बीजेपी का साफ कहना है कि प्रह्लाद लोधी विधायक थे और हैं। वो विधानसभा के आगामी सत्र में जरुर हिस्सा लेंगे।
एक तरफ जहां बीजेपी प्रह्लाद लोधी के मामले को लेकर सरकार और स्पीकर पर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार की तरफ से भी ये साफ कर दिया गया है कि हाईकोर्ट ने प्रह्लाद लोधी की सजा पर स्टे दिया है न कि लोधी की सदस्यता पर कोई फैसला दिया है।
बीजेपी और कांग्रेस के इन आरोप प्रत्यारोपों के बीच में वो सवाल अब भी लटका हुआ है जिसे लेकर ये सारा सियासी घटनाक्रम चल रहा है। क्या प्रह्लाद लोधी शीतकालीन सत्र में शामिल होंगे ये सवाल अब भी अनसुलझा है। शीतकालीन सत्र 17 दिसंबर से शुरु हो रहा है तो इंतजार कीजिए क्योंकि तब इस सवाल का जवाब भी होगा और तस्वीरें भी।