भोपाल

सवाल उठाने में पीछे रहे सत्ता पक्ष के विधायक

सदन में कांग्रेस पर भारी पड़ी बसपा 14वीं विधानसभा में 209 विधायकों ने 51389 सवाल पूछ…

भोपालNov 05, 2018 / 10:52 am

दीपेश तिवारी

महिला उम्मीदवार को विधानसभा भेजने में संकोच करती है सीहोर जिले की जनता

भोपाल। विधानसभा में जनता की आवाज उठाने के मामले में इस बार भाजपा के विधायक फिसड्डी रहे। जनहित के मुद्दों पर पार्टी का समर्थन भारी पड़ा।
सदन में विपक्ष के तौर पर कांग्रेस से बहुजन समाज पार्टी आगे रही। इसके विधायकों ने औसतन 432 सवाल पूछे। कांग्रेस विधायकों का औसत 350 प्रश्न का रहा। इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार 14वीं विधानसभा में 209 विधायकों ने 51389 सवाल पूछे।

उनके निशाने पर लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और राजस्व विभाग रहे। सबसे कम सवाल सामान्य प्रशासन, सहकारिता और आदिम जनजाति कल्याण विभाग के लगे। एडीआर ने ये रिपोर्ट गुरुवार को पत्रकार वार्ता में जारी की।

 

रमेश मेंदोला: 5 साल में महज 3 सवाल…
इंदौर-2 से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने पांच साल में महज तीन सवाल लगाए। सबसे नीचे के पांच विधायकों में सभी भाजपा के ही हैं। मेंदोला के अलावा नागर सिंह चौहान, नानाभाऊ मोहोड़, मथुराप्रसाद और राजेंद्र मेश्राम ने सरकार से औसतन हर साल दो सवाल पूछे।

रामनिवास रावत ने पूछे सबसे ज्यादा सवाल….
विधानसभा में सबसे अधिक सवाल पूछने वाले टॉप फाइव विधायक कांग्रेस के हैं। रामनिवास रावत ने व्यक्तिगत तौर पर रेकॉर्ड तोड़ मुद्दे उठाए। उन्होंने 620 प्रश्न सरकार से पूछे। रावत के अलावा मुकेश नायक, डॉ. गोविंद सिंह, आरिफ अकील और निशंक जैन ने 600 का आंकड़ा पार किया। वे पहले पांच स्थान पर रहे।


कर सुधार और नगरीय विकास पर फोकस….
विधानसभा की कार्यवाही का विश्लेषण करने वाले एडीआर के अरुण गुर्टू, सीके नायडू, रघुराज सिंह और रोली शिवहरे ने बताया कि सरकार का फोकस कर सुधार और नगरीय विकास पर ही रहा। इसका पता विधानसभा में पेश विधेयकों से चलता है।

142 विधेयक पेश हुए थे, इनमें से 135 पारित किए गए। सबसे अधिक विधेयक वित्त, वाणिज्यिक कर, नगरीय विकास व पर्यावरण विभाग के पास हुए। सामाजिक विकास और शिक्षा से जुड़े सबसे कम विधेयक सदन में रखे गए।

 

बसपा के बाद अब जयस पर निगाहें…
उधर बसपा के कांग्रेस से चुनाव पूर्व गठबंधन न करने पर कमलनाथ ने गुरुवार को कहा कि मायावती 50 सीटें मांग रही थीं। ऐसे में गठबंधन कैसे होता। बसपा ने जो सीटें मांगी थीं, उन पर उसे पिछले चुनाव में एक-दो हजार वोट ही मिले थे। उन सीटों पर बसपा जीत की स्थिति में नहीं थी।

कमलनाथ ने कहा कि बसपा के अकेले चुनाव लडऩे से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वहीं, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि कुछ जगहों पर बसपा वोट काटने की स्थिति में है, लेकिन सीटों को लेकर कोई असर नहीं पडऩे वाला।

कांग्रेस अब जयस के साथ गठबंधन की कोशिश कर रही है। हाल ही में हुए जयस के कार्यक्रम में प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया की मंच पर हीरा अलावा के साथ मौजूदगी इस बात की तरफ इशारा भी कर रही है।

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