क्यों रोका गया बघेली में शपथ लेने से
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की करीब 22 क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया गया है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची बघेली भाषा शामिल नहीं है। इसी कारण से रीवा से सांसद जनार्दन मिश्रा को संसद में बघेली भाषा में शपथ लेने से रोक दिया गया। वहीं, दूसरी तरफ बिहार के महाराजगंज से बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने भोजपुरी में शपथ लेने की इच्छा जाहिर की। लेकिन, 8वीं अनुसूची में भोजपुरी में के शामिल नहीं होने के चलते उन्हें हिंदी में शपथ लेनी पड़ी। भोजपुरी में शपथ नहीं लेने के कारण से बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी ने आपत्ति भी जताई लेकिन बाद में उन्हें भी हिन्दी में शपथ लेनी पड़ी।
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की करीब 22 क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया गया है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची बघेली भाषा शामिल नहीं है। इसी कारण से रीवा से सांसद जनार्दन मिश्रा को संसद में बघेली भाषा में शपथ लेने से रोक दिया गया। वहीं, दूसरी तरफ बिहार के महाराजगंज से बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने भोजपुरी में शपथ लेने की इच्छा जाहिर की। लेकिन, 8वीं अनुसूची में भोजपुरी में के शामिल नहीं होने के चलते उन्हें हिंदी में शपथ लेनी पड़ी। भोजपुरी में शपथ नहीं लेने के कारण से बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूडी ने आपत्ति भी जताई लेकिन बाद में उन्हें भी हिन्दी में शपथ लेनी पड़ी।
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कहां बोली जाती है बघेली
बता दें कि मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में बघेली बोली जाती है। इस क्षेत्र को बघेलखंड के नाम से भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल और अनूपपुर जिले में इस बोली को ज्यादातर बोला जाता है।
कहां बोली जाती है बघेली
बता दें कि मध्यप्रदेश के विंध्य क्षेत्र में बघेली बोली जाती है। इस क्षेत्र को बघेलखंड के नाम से भी जाना जाता है। मध्यप्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल और अनूपपुर जिले में इस बोली को ज्यादातर बोला जाता है।
इंदौर के नवनिर्वाचित सांसद शंकर लालवानी ने सोमवार को संसद भवन में सिंधी भाषा में शपथ ली। बताया जा रहा है कि वे देश के ऐसे पहले सांसद हैं, जिन्होंने सिंधी में शपथ ली। इस दौरान विपक्ष के नेताओं ने उनसे पूछा कि ये कौन सी भाषा में शपथ ले रहे हो? इस पर लालवानी को तीन बार जवाब देना पड़ा कि मैं सिंधी भाषा में शपथ ले रहा हूं।
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भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह के शपथ के दौरान विवाद हो गया। जिसे ही वो शपथ लेने आईं उन्होंने अपना नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर स्वामी पूर्णचेतानंद अवधेशानंद गिरी के रूप में पढ़ा। तभी विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष को उनके नाम पर आपत्ति थी। इसके साथ ही प्रोटेम स्पीकर और लोकसभा कर्मियों ने भी उन्हें टोका। बाद में उन्होंने संस्कृत में शपथ ली।
भोपाल से भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह के शपथ के दौरान विवाद हो गया। जिसे ही वो शपथ लेने आईं उन्होंने अपना नाम साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर स्वामी पूर्णचेतानंद अवधेशानंद गिरी के रूप में पढ़ा। तभी विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष को उनके नाम पर आपत्ति थी। इसके साथ ही प्रोटेम स्पीकर और लोकसभा कर्मियों ने भी उन्हें टोका। बाद में उन्होंने संस्कृत में शपथ ली।