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भाजपा के कई सासंद लड़ना चाहते हैं विधानसभा चुनाव, ख़राब परफॉर्मेंस के कारण 2019 में कट सकता है टिकट

locationभोपालPublished: Oct 13, 2018 08:23:33 am

Submitted by:

shailendra tiwari

प्रदेश में लोकसभा की 26 सीटें हैं जिनमें से दो तिहाई सांसद टिकट पाने की जुगाड़ में हैं।

भोपाल. विधानसभा चुनाव 2018 में टिकट के लिए दावेदार अपनी-अपनी पार्टी के हाई कमान के सामने दावे कर रहे हैं। लेकिन 15 सालों से प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा के लिए मुश्किल यह है कि टिकट लेने के दावेदारों में कई मौजूदा सांसद भी हैं। भाजपा के कई ऐसे सांसद हैं जो संसद छोड़कर विधानसभा पहुंचने की कोशिश में लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, मध्यप्रदेश में दो तिहाई से ज्यादा सासंद टिकट पाने की दावेदारी कर रहे हैं। प्रदेश में लोकसभा की 26 सीटें हैं जिनमें से दो तिहाई सांसद टिकट पाने की जुगाड़ में हैं। ऐसे में पार्टी के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। हालांकि पार्टी ने इनके नामों को सर्वे में डाल दिया है।
ये सांसद हैं टिकट के दावेदार: मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, देवास सांसद मनोहर ऊंटवाल, खंडवा सांसद नंद कुमार सिंह चौहान, राजगढ़ सांसद रोडमल नागर, नागौद सांसद नागेंद्र सिंह, चिंतामन मालवीय , लक्ष्मीनारायण यादव, जनार्दन मिश्रा, ज्ञानसिंह, राव उदयप्रताप के साथ-साथ भागीरथ प्रसाद, गणेश सिंह, आलोक संजर भी विधानसभा लड़ने की इच्छा जता चुके हैं।
क्यों लड़ना चाहते हैं विधासभा चुनाव: सूत्रों के अनुसार, इन सांसदों की चिंता अगले लोकसभा चुनाव में अपना टिकक कटता नजर आ रहा है। जिसकी वजह ख़राब परफॉर्मेंस बताई जा रही है। हालांकि पीएम मोदी पहले भी सांसदों को अपनी परफॉरमेंस सुधारने के लिए कह चुके हैं। क्षेत्र में कम सक्रियता के कारण सांसदों से पार्टी और जनता दोनों ही सांसदों से नराज है। यहीं कारण है कि सांसद अब विधानसभा चुनाव के लिए ये टिकट इसलिए मांग रहे हैं।

कांग्रेस में भी कई दावेदार: ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा सांसद भी टिकट के दावेदार हैं। कांग्रेस के भी कई सांसद हैं जो टिकट के लिए दावेदारी पे कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस मंदसौर से सांसद मिनाक्षी नटराजन को मंदसौर विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। वहीं, जानकारों का कहना है कि कई सांसद पहले विधायक रह चुके हैं ऐसे में उन्हें केन्द्र की राजनीति रास नहीं आई जिस कारण वो फिर से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। जबकि पार्टियां का मामना है कि एक सांसद अपने संसदीय सीट के किसी भी विधानसभा से सीट आसानी से निकाल सकता है और आसपास की विधानसभा सीटों पर भी उसका प्रभाव पड़ता है।
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