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भाजपा में अब प्रवक्ता पैनलिस्ट को लेकर खींचतान, सिंधिया खेमे से दो दावेदार

locationभोपालPublished: Jan 15, 2021 02:22:57 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

कुछ पैनलिस्ट को प्रमोट करके प्रवक्ता की टीम में लाया जाएगा।

भाजपा में अब प्रवक्ता पैनलिस्ट को लेकर खींचतान, सिंधिया खेमे से दो दावेदार

भाजपा में अब प्रवक्ता पैनलिस्ट को लेकर खींचतान, सिंधिया खेमे से दो दावेदार

भोपाल. प्रदेश भाजपा की नई टीम घोषित होने के बाद प्रवक्ता और मीडिया पैनलिस्ट की टीम बनना है। ऐसे में इन पदों के लिए खींचतान बढ़ गई है। दो-तीन दिन में नई टीम घोषित हो सकती है। प्रवक्‍ता-पैनलिस्ट की लिस्ट तैयार है लेकिन नए नाम सामने आने के बाद इनमें खीचंतान बढ़ गई है। नई प्रवक्‍ता-पैनलिस्ट टीम में भी युवा चेहरों को प्राथमिकता दी जाएगी। पुराने चेहरे बदले जाएंगे। कुछ पैनलिस्ट को प्रमोट करके प्रवक्ता की टीम में लाया जाएगा।
खींचतान में मुख्य प्रवक्ता पद
इस बार नई टीम में मुख्य प्रवक्ता के पद पर ही संकट है, क्योंकि, यह पद खत्म किया जा सकता है। अभी इस पद पर दीपक विजवर्गीय और मीडिया प्रभारी पद पर लोकेंद्र पाराशर पदस्थ हैं। लगातार इन दोनों पदों में खींचतान की स्थिति रही है, ऐसे में मुख्य प्रवक्ता के पद को खत्म करने पर विचार हो रहा है। किसी वरिष्ठ नेता को एडजेस्ट करने के नजरिए से भी इस पद को रखा जा
सकता है।
सिंधिया खेमे को भी मौका
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से मीडिया टीम के लिए पंकज चतुर्वेदी का नाम है। वहीं, सिंधिया खेमे से ही शाहवर आलम भी प्रवक्ता पद के लिए प्रयासरत रहे हैं। ये दोनों ही सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे।
सक्रिय प्रमोट, कई होंगे बाहर
प्रदेश भाजपा की मीडिया टीम में रजनीश अग्रवाल, राहुल कोठारी, मिलन भार्गव, राकेश शर्मा, नेहा बग्गा, राजो मालवीय, तपन तोमर, विभांशु जोशी, उमेश शर्मा, राजपाल सिंह सिसौदिया सहित एक दर्जन प्रवक्‍ता-पैनलिस्ट बेहद सक्रिय रहे हैं। इनमें रजनीश और राहुल प्रमोट हो चुके हैं, बाकी नामों में से कुछ को मीडिया टीम में प्रमोट किया जाएगा। वहीं प्रदेश भाजपा की मीडिया टीम से आलोक संजर, नागर सिंह चौहान, हिदायतउल्ला शेख सहित एक दर्जन नाम नई सूची से बाहर हो सकते हैं।
नई टीम के सामने चुनौतियां ज्यादा
नई टीम के सामने ज्यादा चुनौतियां हैं। लंबे समय बाद बदलाव होने से पार्टी में अंदरूनी तौर पर विरोध शुरू हो गया है। हालांकि कोई खुलकर सामने नहीं आया है। तीन महीने बाद निकाय चुनाव होना है, पहली चुनौती इसके परिणाम पर संगठन की टीम की रहेगी। विभिन्न गुटों में तालमेल बड़ी चुनौती है।
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