सूत्रों के मुताबिक संघ की सबसे बड़ी चिंता नर्मदा बेल्ट में बसे आदिवासियों के बन रहे नए संगठनों और उनके जरिए उस इलाके में सरकार के प्रति बढ़ रही नाराजगी है। हाल ही में इन इलाकों में भाजपा ने आदिवासियों के सम्मेलन करके इस डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी की है। इसके साथ ही नर्मदा से अवैध रेत उत्खनन भी एक बड़ा मुद्दा रहा है।
दिग्विजय की यात्रा ने बढ़ाई मुश्किल
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने छह महीने में नर्मदा परिक्रमा पूरी की है। हालांकि, उनकी यह पदयात्रा आध्यात्मिक थी, लेकिन इसी बहाने उन्होंने नर्मदा क्षेत्र में अपने राजनीतिक संबंधों को भी पुनर्जीवित करने की कोशिश भी की है।
अपनी यात्रा के बाद दिग्विजय फिर से राजनीति के मैदान में उतरने वाले हैं। वे अपनी इस यात्रा के दौरान किए गए नर्मदा बेल्ट में बने संपर्कों का पूरा लाभ उठाएंगे। भाजपा की नजर भी ेदिग्विजय की यात्रा पर रही है।
नर्मदा किनारे इन 16 जिलों की हैं 66 सीटें
नर्मदा किनारे की 16 जिलों में अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा, खरगौन, धार, बड़वानी और अलिराजपुर शामिल हैं।
भाजपा ने अबकी बार 200 पार का लक्ष्य रखा है। पार्टी अलग-अलग क्षेत्र, अंचल और संभाग के लिए अलग-अलग कार्ययोजना बना रही है। नर्मदा क्षेत्र में भी सही कार्ययोजना बनाकर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतेंगे।
-राहुल कोठारी, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा