script

भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशी सुमेर सिंह सोलंकी का इस्तीफ़ा मंजूर, अब लड़ सकेंगे राज्यसभा का चुनाव

locationभोपालPublished: Mar 14, 2020 03:12:30 pm

– नहीं मिलेगी पेंशन
– अपने इस्तीफे को लेकर हाई कोर्ट गए थे सोलंकी

sumer singh solanki

sumer singh solanki

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मध्य प्रदेश से राज्यसभा प्रत्याशी डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी का नामांकन पत्र रद्द होने के संदेह के बीच आखिरकार उनका असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद से इस्तीफा मंजूर हो गया है। जिसके चलते अब वह राज्यसभा का चुनाव लड़ सकेंगे। लेकिन वहीं नियमों के चलते कार्यकाल पूरा नहीं होने के कारण इन्हें पेंशन नहीं मिलेगी।
जानिये कौन हैं भाजपा के सुमेर सिंह सोलंकी…
सुमेर सिंह आदिवासी वर्ग से आते हैं। वे पूर्व सांसद मखनसिंह सोलंकी के भतीजे सुमेर सिंह सोलंकी मालवा प्रान्त में पदाधिकारी और बड़वानी में कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर है। इसके साथ ही वे बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं।
ऐसे हुआ इस्तीफा मंजूर…
जानकारी के अनुसार हाई कोर्ट के निर्देश के बाद सरकार ने सोलंकी का प्रोफेसर पद से इस्तीफ़ा मंजूर किया है, लेकिन उन्हें प्रोफेसर पद पर कार्य की पेंशन की पात्रता नहीं रहेगी। उल्लेखनीय है कि डॉ. सोलंकी ने हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में एक याचिका दायर कर अपने इस्तीफे पर शासन से तत्काल निर्णय लेने की मांग की थी।
डॉ. सोलंकी बडवानी स्थित शहीद भीमा नायक शासकीय स्नाततोकतार महाविधायल में इतिहास के प्रोफेसर थे। राज्यसभा के लिए उनके नाम की घोषणा होने के बाद उन्होंने प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया था जो कि राज्य शासन को अग्रेषित कर दिया गया था, लेकिन राज्य शासन द्वारा इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिए जाने पर उन्होंने हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के समक्ष पूर्व अतिरिक्त महाअधिवक्ता मनोज द्विवेदी और अभिभाषक सुदर्शन जोशी के माध्यम से याचिका पेश की थी।
इस याचिका में उन्होंने सिविल सर्विसेस नियम 1976 के प्रवाधानो के तहत इस्तीफा स्वीकार किए जाने हेतु कोर्ट से निवेदन किया था। कोर्ट ने इस याचिका पर अंतिरम राहत के तौर पर उनके इस्तीफे पर आज ही निर्णय लेने हेतु आदेशित किया था और कोर्ट को 16 मार्च को लिए गए निर्णय से अवगत कराने को कहा था। इसी निर्देश के पालन में सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
गौरतलब है कि नामांकन पत्रों की छंटनी के दौरान नियमानुसार सभी दस्तावेज देखे जाते हैं। इस्तीफा स्वीकार होने का प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है। इसे छंटनी के दिन तक जमा करवाया जा सकता है।
भाजपा ने ऐसे तैयार किया था विकल्प…
इससे पहले उनके नामांकन रद्द होने के संदेह के बीच पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में तीसरा उम्मीदवार भी खड़ा कद दिया था, जिसके तहत पार्टी ने पूर्व मंत्री रंजना बघेल से भी नामांकन दाखिल कराया है। अगर सोलंकी की उम्मीदवारी रद्द होती है तो रंजना पटेल बघेल पार्टी की तरफ से प्रत्याशी होंगी।
यही वजह है कि राज्यसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख से ठीक एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी ने उच्च शिक्षा विभाग में सरकारी सेवा में कार्यरत सहायक प्राध्यापक डॉ.सुमेर सिंह सोलंकी को प्रत्याशी तो बनाया लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार न होने के कारण पूर्व मंत्री रंजना बघेल से भी नामांकन जमा करवाया गया है।
डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी : एनएसएस के जिला संगठक – जानिये कुछ खास बातें…
साेलंकी शहीद भीमा नायक शासकीय महाविद्यालय बड़वानी के राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला संगठक होने के साथ ही सोलंकी अध्यापन के साथ ही समाज सेवा में सक्रिय रहे हैं और इन्हें उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार पुरस्कृत किया जा चुका है। डाॅ. साेलंकी लंबे समय से स्वच्छता और अन्य सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक करते रहे हैं।
पिछले छह सालों में उन्होंने 240 गांवों में जागरूकता शिविर आयोजित किए और करीब साढ़े 600 जागरूकता रैली निकाली। इन्होंने सवा 500 गावों में स्वच्छता अभियान के लिए स्वच्छता दूत नियुक्त किए। इसके अलावा करीब डेढ़ सौ गाैरी बंधनों का निर्माण लोगों के सहयोग से करवाया।
साेलंकी के मार्गदर्शन में बड़वानी जिले को राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत दो राष्ट्रीय पुरस्कार और चार राज्य स्तरीय पुरस्कार मिल चुका है। कुल मिलाकर सरकार की राष्ट्रीय सेवा योजना में डॉक्टर सुमेर सिंह सोलंकी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसके लिए उन्हें नियुक्त किया गया था।

ट्रेंडिंग वीडियो