पार्टी इस बार के चुनावों में ‘बूथ जीता, चुनाव जीताÓ के स्लोगन पर काम कर रही है। हर बूथ पर लगभग 60 कार्यकताओं की टीम लगाई है। जिन बूथों पर भाजपा को 2013 में हार मिली थी वहां पार्टी बढ़त की जमावट कर रही है, लेकिन जिन बूथों पर कांगे्रस को 50 या उससे कम वोट मिले थे, उनको मजबूत गढ़ बनाने में जुटी है।
– इन विधानसभा सीटों पर फोकस
सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने कांग्रेस मुक्त बूथ के लिए 10 विधानसभा सीटें छाटी हैं, जिनमें पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में 50000 से ज्यादा मतों के अंतर से जीत मिली थी। इसमें बुदनी, गोविंदपुरा, हुजूर, गोविंदपुरा-1, जबलपुर केंट, रहली, राजगढ़, पिपरिया, देवास शामिल है।
** कांग्रेस को कहां कितने बूथ पर मिले थे 2013 में 20 से कम वोट
बुदनी में 6, रीवा में 7, रहली में 2, गोङ्क्षवदपुरा में 1, हुजूर में 2 और इंदौर 1 में पांच बूथ पर 20 से कम वोट मिले थे। बुदनी के 6 बूथ पर कांग्रेस को 20 से भी कम वोट मिले। बूथ क्रमांक 25 पर तो एक ही वोट मिला था।
– एट्रोसिटी एक्ट और ओबीसी आयोग को बनाएगी मुद्दा
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा और एससी-एसटी एक्ट में संशोधन कर केंद्र सरकार ने बड़ी आबादी को खुश करने की कोशिश की है। इसका सबसे ज्यादा असर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में पडऩे वाला है। प्रदेश की 90 से ज्यादा सीटों पर पिछड़ा वर्ग का सीधा असर है।
प्रदेश में 21 फीसदी आदिवासी और 17 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी है। एससी-एसटी कानून पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन आने के बाद प्रदेश के दलित भाजपा नेता भी सरकार से नाराज थे। ऐसे में सरकार ने कानून में संशोधन कर उनको लुभाने की कोशिश की है। इसके व्यापक प्रचार-प्रसार का जिम्मा प्रदेश में एससी मोर्चा को सौंपा गया है।
– पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश
पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर केंद्र सरकार ने बड़ा दांव खेला है। प्रदेश में 53 फीसदी आबादी पिछड़ा वर्ग की है, जो 90 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असर डालती है। आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कई सालों से चली आ रही है, जिसको पूरा कर भाजपा ने चुनावी फायदा लेने की कोशिश की है। पिछड़ा वर्ग मोर्चा हर जिले में सम्मेलन कर इस उपलब्धि को गिना रहा है।
– रजनीश अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
– सूरज कैरो, अध्यक्ष, अनुसूचित जाति मोर्चा
– समीक्षा गुप्ता, उपाध्यक्ष, पिछड़ा वर्ग मोर्चा