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सदन में शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने से स्पीकर का इंकार, भाजपा बोली- वो गांधी परिवार की नहीं इसलिए नहीं हो रहा सम्मान

locationभोपालPublished: Jul 22, 2019 09:51:50 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

81 साल की पूर्व में दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का निधन हो गया था।
भाजना ने मांग करते हुए कहा- सदन में शीला दीक्षित का श्रद्धांजलि अर्पित की जाए।

Gopal Bhargava

सदन में शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने से स्पीकर का इंकार, भाजपा बोली- वो गांधी परिवार की नहीं इसलिए नहीं हो रहा सम्मान

भोपाल. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ( Sheila Dikshit ) के निधन पर सभी दलों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि नहीं देने के कारण हंगामा शुरू हो गया। रविवार को मध्यप्रदेश विधानसभा ( MP Assembly ) के सदन में शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि नहीं देने पर बीजेपी ने हंगामा किया और सदन से वॉकआउट किया। दरअसल, बीजेपी ( bjp ) ने सदन में शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने के साथ 5 मिनट के लिए सदन स्थगित करने की मांग की थी, जिसे स्पीकर ने यह कहकर ठुकरा दिया कि श्रद्धांजलि पहले कार्य सूची में लाई जाएगी और सोमवार को उन्हें सदन में श्रद्धांजलि दी जाएगी।
नरोत्तम मिश्रा ने की मांग
भाजपा विधायक नरोत्तम मिश्रा ने रात दस बजे दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि देने की मांग की। जिसके जबाव में स्पीकर ने कहा- सदन के बीच में श्रद्धांजलि अर्पित नहीं की जा सकती है। आप खुद संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं और आप बेहतर तरीके से जानते हैं।
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गांधी परिवार की नहीं हैं इसलिए नहीं हो रहा सम्मान
नरोत्तम मिश्रा ने कहा- शीला दीक्षित गांधी परिवार की नहीं हैं इसलिए उनका सम्मान नहीं हो रहा है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ( Gopal Bhargava ) ने कहा- शनिवार और रविवार को अगर सदन चल सकता है तो फिर शीला दीक्षित को श्रद्धांजलि क्यों अर्पित नहीं की जा सकती है। इसके जवाब में स्पीकर ने कहा- श्रद्धांजलि सोमवार को अर्पित की जाएगी। यह सुनने के बाद विपक्ष ने विधानसभा का बहिगर्मन किया और पांच मिनट बाद सदन में वापस लौटा।
सीएम ने कहा- मांग उठाने का कोई औचित्य नहीं
सीएम कमल नाथ ( Kamal Nath ) ने मामले में कहा- कि सुबह स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति में तय हुआ था कि शीला दीक्षित को 22 जुलाई को श्रद्धांजलि अर्फित की जाएगी। फिर अचानक रात में अनुदानों की चर्चा के दौरान श्रद्धांजलि देने की मांग उठाने का क्या औचित्य है।
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