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एक बार भाजपा भी जीती थी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट, आखिरी समय पर खोला था गोपनीय नाम

locationभोपालPublished: Apr 16, 2019 07:10:08 am

अचानक बना दिया चुनाव संचालक पटवा को प्रत्याशी…

bjp team

एक बार भाजपा भी जीती थी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट, आखिरी समय पर खोला था गोपनीय नाम

भोपाल। छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर 1997 का उपचुनाव लोगों के लिए यादगार है। इसमें कांग्रेस को अब तक की इकलौती हार मिली थी। दूसरा ये कि भाजपा ने पहली बार किसी बाहरी प्रत्याशी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा था।

उस समय चुनाव में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले तत्कालीन जिला कांग्रेस अध्यक्ष कन्हईराम रघुवंशी ने बताया कि छिंदवाड़ा सीट से चौधरी चंद्रभान का नाम तय था। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख आने से पहले छिंदवाड़ा को लेकर भोपाल में एक बैठक हुई।

इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे, प्रदेश अध्यक्ष कैलाश जोशी, संगठन महामंत्री कृष्णमुरारी मोघे, वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग, पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा और मैं शामिल हुए।

भोपाल की इस बैठक में तय हुआ कि चौधरी चंद्रभान सिंह पार्टी के प्रत्याशी होंगे। पटवा चुनाव संचालक भी थे। पटवा ने जोशी से कहा- आपने मुझे आज तक प्रदेश के किसी भी चुनाव में संचालक बनाया है क्या? मैं तो प्रत्याशी ही बना हूं।

मेरे अपने चुनावों में भी दूसरों ने ही इसका जिम्मा संभाला है। मुझे नहीं मालूम कि चुनाव संचालन कैसे किया जाता है। कुशाभाऊ ने सुना और सभी की तरफ देखा फिर कहा- हमें दूल्हा मिल गया और हम सब बाराती बनेंगे। उनका आशय था कि पटवा छिंदवाड़ा से प्रत्याशी रहेंगे।

आखिरी समय तक गोपनीय रखा नाम
पुरानी यादें ताजा करते हुए रघुवंशी ने बताया कि बैठक में यह भी तय हुआ कि फॉर्म भरने तक ये बात इन छह लोगों के अलावा किसी को पता न चले। दूसरे दिन नामांकन की आखिरी तारीख थी।
सब छिंदवाड़ा आए और तय समय पर जिला अध्यक्ष कन्हईराम रघुवंशी ने सुंदरलाल पटवा का एबी फॉर्म भरा। इसी के साथ पटवा प्रत्याशी बन गए। मोघे चुनाव संचालक बनाए गए। उनके सहयोगी बने कन्हईराम रघुवंशी, मेघराज जैन और कैलाश सारंग।
चुनाव होने तक झा का रहा डेरा
प्रचार के लिए तत्कालीन प्रदेश प्रवक्ता प्रभात झा को छिंदवाड़ा लाया गया। वे जिला भाजपा कार्यालय के एक कमरे में डेरा डाले रहे और चुनाव होने तक यहीं रहे। भाजपा ने कमलनाथ पर जबरन सांसद और पत्नी अलकानाथ से इस्तीफा दिलाने, हवाला कांड को लेकर उन्हें चुनाव में घेरा। इसे चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाया।
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