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इंजीनियर से अपर आयुक्त तक पांच स्तरीय मॉनीटरिंग, फिर भी निगमायुक्त की पकड़ में आई गड़बड़ी?

locationभोपालPublished: May 25, 2019 07:47:32 am

देवेंद्र शर्मा, भोपाल. नगर निगम में किस तरह ठेकेदार, इंजीनियर और अफसरों की मिलीभगत चलती है निगमायुक्त विजय दत्ता के जोन निरीक्षण में इसके एक के बाद एक उदाहरण सामने आ रहे हैं। आश्चर्य है कि ठेकेदार के काम पर क्षेत्रीय इंजीनियर, कंसलटेंट, डिप्टी सिटी इंजीनियर, सिटी इंजीनियर और अपर आयुक्त होने के बावजूद काम ओके कर दिए गए। जब निगमायुक्त पहुंचे तब उन्होंने घटिया निर्माण पकड़ा और दोषियों पर कार्रवाई शुरू की गई।

bhopal nagar nigam

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ऐसे में समझा जा सकता है जहां निगमायुक्त नहीं पहुंचे या जिन निर्माणों का उच्चस्तरीय अफसरों के निरीक्षण के बिना ही राशि जारी हुई, लोकार्पण हुआ, उनकी क्या स्थिति होगी।

मॉनीटरिंग के पांच स्तर पर पास, निगमायुक्त ने पकड़ी गड़बड़
– छोला विश्रामघाट में पाथवे, सडक़ निर्माण के दौरान ही दरकने-धंसने लगे। निगमायुक्त ने निरीक्षण किया तो वे इस पर नाराज हुए। ठेकेदार से रिकवरी के निर्देश जारी कर दिए। ये काम करीब पांच करोड़ रुपए का है। यहां पर शुरुआत में प्रभुलाल बैरागी को ठेका दिया गया था। अब यहां मयंक संहिता ठेकेदार काम कर रहा है।
– जोन आठ में निगमायुक्त ने यातायात पार्क गड्ढे, टूटा पाथवे, खराब फव्वारें और खेल उपकरण यहां वहां बिखरे व टूटे पाए। करीब चार करोड़ रुपए के काम यहां कराए गए। इंजीनियर अनिल टटवाडे व हबीब की विभागीय जांच व वेतनवृद्धि रोकी गई।
– जोन 13 में अमरावत में पार्क का घटिया निर्माण किया जा रहा था। पाथवे और पैविंग ब्लॉक तक खराब लगाए जा रहे थे। निगमायुक्त ने इसे रोका, इंजीनियरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
नोट- निगमायुक्त के जोन निरीक्षण के दौरान की स्थितियां।
देखने वाला कोई नहीं, निर्माण के बाद ही खराब जनसुविधा

– कोलार में लोटस हॉस्पिटल से अंदर की और जा रही सीमेंट कांक्रीट रोड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बनी। निर्माण के दस दिन में ही दरकने लगे। करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन छह माह में कई जगह से टूट गई।
– लिंक रोड एक ओर दो की और निगम दो करोड़ रुपए से अभी एक साल पहले फुटपाथ बनाए, बैठने के लिए बर्थ स्थापित की। कुछ जगह सीटिंग स्टैंड बनाए और सौंदर्यीकरण के तहत लोहे का कुछ काम हुआ। लोहे में जंग लग गई और वर्थ व स्टैंड कई जगह से टूट गए।
– पांच करोड़ रुपए की लागत से बीआरटीएस किनारे होशंगाबाद रोड पर सायकिल ट्रैक तैयार किया। निर्माण के पहले साल में ही इसके नीचे की डक्ट के ढक्कन टूटने लगे। कई जगह से इसमें भी दरारें उभर आई है।
ये हैं जिम्मेदार

संबंधित जोन का इंजीनियर सीधी मॉनीटरिंग करता है। निगम में कई कंसलटेंट प्रतिमाह एक लाख रुपए तक के वेतन पर रखे हुए हैं और वे निर्माण में प्रयोग सामग्री को परखते हैं। इन पर डिप्टी सिटी इंजीनियर होते हैं। डिप्टी सिटी इंजीनियर पर सिटी इंजीनियर और फिर अपर आयुक्त मॉनीटरिंग करते हैं। इनकी टीम के बिना एक रुपया भी जारी नहीं होता। ऐसे में सवाल है कि गड़बड़ निर्माण पर राशि कैसे जारी हो गई?
एक्सपर्ट कोट्स

यदि पांच स्तर पर निर्माण की जांच हो रही है ओर बावजूद इसके निगमायुक्त गड़बड़ी को पकड़ रहे हैं तो फिर सवाल खड़ा होते हैं। शासन स्तर पर इसकी जांच की जाना चाहिए।
– अवनीश सक्सेना, पूर्व चीफ आर्किटेक्ट बीडीए

जोन की व्यवस्थाओं को देख रहे हैं। जहां गड़बड़ी मिल रही है उसमें संबंधित को नोटिस जारी किए हैं। क्या वजह है जवाब मांगा है। गड़बड़ी निर्माण पर किसी तरह की रियासत नहीं दी जाएगी।
– विजय दत्ता, निगमायुक्त

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