दावा है कि नावों को स्मार्ट सिटी के भोपाल प्लस एप से जोड़ा (इंट्रीग्रेटेड) जाएगा। समिति में अपर आयुक्त (झील प्रकोष्ठ) पवन कुमार सिंह, कार्यपालन यंत्री संतोष गुप्ता, स्मार्ट सिटी के सिटी इंजीनियर ओपी भारद्वाज समेत भोपाल प्लस एप की टीम को शामिल किया है। इससे फील्ड की बजाय बंद कमरे में बैठकर नावों की मॉनीटरिंग की जाएगी।
मॉनीटरिंग के लिए टीमें बनाना जरूरी
रिटायर्ड कलेक्टर एसएल मिश्रा का कहना है कि हाईटेक मॉनीटरिंग से सिर्फ आंकड़ों की जानकारी मिल सकती है। पानी में उतरी नाव और उसमें बैठे यात्रियों की सुरक्षा के इंतजाम समेत अन्य स्थितियों पर नजर रखने के लिए अलग से टीमें बनाना जरूरी है। स्मार्ट सिटी की मॉनीटरिंग से व्यवस्थाएं नहीं सुधरेंगी।
अधिकारी बोले- ऐसे करेंगे नावों की मॉनीटरिंग
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक भोपाल प्लस एप से नावों की मॉनीटरिंग की जाएगी। दावा है कि एप से ये पता लगाया जा सकेगा कि तालाब में नाव उतरी है तो वह कितनी दूरी पर है और इसमें कितने लोग सवार हैं। नाव खतरनाक जगह तो नहीं जा रही और इसमें बैठे यात्रियों ने लाइफ जैकेट पहनी है या नहीं।
ये मॉनीटरिंग ऑनलाइन की होगी। हालांकि स्मार्ट सिटी का सिस्टम ट्रैफिक की मॉनीटरिंग के लिए स्थापित किया गया है। ऐसे में अधिकारियों को ये पता नहीं है कि पानी में उतरने वाली नावों में कौन से उपकरण लगाए जाएंगे।
नंबर से होगी नाव मालिक की पहचान
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक पंजीयन के बाद नाव पर स्टील की प्लेट लगाई जाएगी, जिस पर नंबर और तालाब का नाम दर्ज होगा। इस नंबर के आधार पर भोपाल प्लस एप में नाव से जुड़ी सभी जानकारी दी जाएंगी। मंगलवार तक नगर निगम ने बड़ा तालाब में 83 तो छोटे तालाब के लिए 70 का पंजीयन किया। हालांकि फिटनेस संबंधी पेच अभी जस का तस है।