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यूनियन कार्बाइड के जहरीले पानी से बन रही नमकीन और बेकरी आइटम्स

locationभोपालPublished: Apr 12, 2018 04:34:08 pm

यूनियन कार्बाइड के आसपास २२ बस्तियों का भूजल प्रदूषित

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सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि यूनियन कार्बाइड के आसपास 22 बस्तियों का भूजल प्रदूषित है। जिसके चलते भूजल पर रोक लगा दी फिर भी कुछ कारोबारी इसका इस्तेमाल कर रहे है। आसपास कई ट्यूबवेल हैं। इनके पानी का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों तक में हो रहा है। पत्रिका के स्टिंग के दौरान ये खुलासा हुआ।
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यूनियन कार्बाइड परिसर से सटी कई फैक्टरीज में दिन-रात बड़ी मात्रा में सैकड़ों तरह के बेकरी उत्पाद और नमकीन बनाकर प्रदेशभर में सप्लाई किए जा रहे हैं। इस उत्पादों को बनाने में बोरिंग का पानी धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। हैवी मेटल्स व तमाम खतरनाक रासायनिक अशुद्धियों वाले इस पानी से बने उत्पाद जनस्वास्थ्य पर कितना गंभीर असर डाल रहे होंगे, इसका अंदाजा नहीं है।

पत्रिका संवाददाता मंगलवार सुबह १०:५५ बजे यूनियन कार्बाइड परिसर से सटी स्वाद ब्रांडनेम से उत्पाद बनाने वाली लक्ष्मी बेकरी पहुंचा। गार्ड ने गेट पर रोककर पूछताछ की तो संवाददाता ने बेकरी का काम शुरू करने के लिए माल लेने का बहाना किया। इसपर गार्ड संवाददाता को वहां मौजूद केयरटेकर के पास ले गया।

केयरटेकर ने सिंधी कॉलोनी चौराहा, साईं बाबा मंदिर के पास कार्यालय में बैठने वाले मालिक दीपक का नम्बर लिखकर दिया। संवाददाता ने फैक्टरी के अंदर जाकर प्रोडक्शन प्रोसेस देखने को कहा तो मना कर दिया, लेकिन एक कर्मचारी ने धीरे से बता दिया कि माल बनाने के लिए अंदर बड़ा ट्यूबवेल है। यह कर्मचारी जब संवाददाता को बोरिंग के कनेक्शन दिखाने लगा तो केयरटेकर ने उसे डांटा और संवाददाता को बाहर जाने के लिए कहा।

इसके बाद ११:०२ बजे संवाददाता ने इसी बेकरी से सटी कुंदन नमकीन फैक्टरी में प्रवेश किया तो कर्मचारियों ने रोका। उस समय फैक्टरी में मौजूद मालिक के बेटे अंकित ने बिजनेस के संबंध में विजिटिंग कार्ड देकर घोड़ा नक्कास ऑफिस में बात करने को कहा। संवाददाता जब फैक्टरी में घुसकर नमकीन मेकिंग प्रोसेस की पड़ताल करने लगा तभी कर्मचारियों ने बाहर जाने को कहा। बातचीत करते हुए एक कर्मचारी ने बताया कि फैक्टरी में पीछे की ओर यूका परिसर से सटी जगह में बोरिंग है, जिससे बहुत पानी आता है। इसका पानी नमकीन बनाने में प्रयोग किया जाता है।

यहां से बाहर आने के बाद ११:०८ पर संवाददाता झूलेलाल बेकरी आया। यहां भी बिजनेस शुरू करने की बात की। बेकरी मालिक इंदौर गए हुए थे। सुपरवाइजर ने बे्रड व अन्य उत्पादों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी और पानी के बारे में बताते हुए सचेत हो गया और ननि से सप्लाई की बात कही, लेकिन नगर निगम की पुअर वाटर सप्लाई पर प्रोडक्शन बाधित होने के सवाल पर बेकरी मालिक शंभूदयाल ने फोन पर अगली सुबह स्वयं बताया कि उनके पास खुद की बोरिंग है।

हमने तो केवल सरकारी बंद किए हैं
हमें सरकारी ट्यूबवेल्स बंद करने के दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट से मिले थे, उन ट्यूबवेल्स को बंद कर दिया गया है। प्राइवेट ट्यूबवेल्स को बंद करने के कोई दिशा-निर्देश हमें नहीं हैं।
– एआर पवार, चीफ इंजीनियर, वाटर वक्र्स, ननि


तीसरी जगह

स्वाद ब्रांड से लक्ष्मी बेकरी का संचालन कर रहे दीपक ने बताया कि वे पेटीज, बिस्किट, स्लाइस केस समेत बेकरी के १५० उत्पाद तैयार करते हैं। पानी की उपलब्धता का स्रोत पूछे जाने पर झल्ला गए और कहा कि तुम्हे माल से मतलब है न कि पानी कहां से कैसे प्रयोग करते हैं।

झूलेलाल बेकरी के मालिक शंभूलाल ने बताया कि उनकी फैक्टरी में व्हाइट बे्रड, ब्राउन बे्रड, सैंडविच, टोस्ट, पाव समेत ३० बेकरी आइटम्स तैयार किए जाते हैं। पानी की कमी नहीं, निजी बोरिंग है। कभी भी आ जाओ, बैठकर बिजनेस की बात करेंगे।

 

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गैसकांड से पहले की है भूजल समस्या
भोपाल गु्रप फॉर इन्फॉरमेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया कि वर्ष १९८४ में हुई गैसकांड त्रासदी से पहले ही १९७७ से १९८४ तक इस क्षेत्र का भूजल व मिट्टी जहरीली हो चुकी थी। ३२ एकड़ क्षेत्र में बनाए गए तीन तालाबों में यूनियन कार्बाइड अपना रासायनिक कचरा डंप करती थी। वर्ष १९८२ में ही प्लास्टिक लाइनिंग कटने लगी थी और भूजल प्रदूषित होने लगा था, यह बात कंपनी को मालूम होने पर भी उसने कोई सुधार के कदम नहीं उठाए।

गैसकांड न भी होता तो उस क्षेत्र का भूजल प्रदूषित तो हो ही रहा था। १९९० में बोस्टन, यूएसए में यहां का भूजल जांच के लिए भेजा गया। इसके बाद वर्ष १९९१, १९९६ में १५-१६ अलग-अलग दूरी व अलग-अलग गहराई से भूजल के नमूने जांच को भेजे गए, जिनमें यहां का पानी बुरी तरह प्रदूषित पाया गया। इसमें हैवी मेटल्स व अन्य खतरनाक रासायनिक अशुद्धियां पाई गईं। वहां के हैंडपम्प्स पर पानी पीने योग्य नहीं है, लिखकर पल्ला झाड़ लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई लताड़
इस मामले की सुनवाई ९ अप्रैल २०१८ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने की। यह जानकारी देते हुए रचना ढींगरा ने बताया कि जस्टिस गोगोई ने गरीब लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध न कराने पर ननि व मप्र शासन को कड़ी फटकार लगाई। सुनवाई में यह बात भी सामने आई कि यहां सीवेज व डे्रनेज न होने से लोग मल-मूत्र से संक्रमित पानी पी रहे हैं और जिनके पास कनेक्शन नहीं, वे अभी तक संक्रमित भूजल पानी को विवश हैं। जस्टिस गोगाई के दिशा-निर्देश रहवासियों के हित में हैं, कि पानी पॉल्यूट करने वाले की ही जिम्मेदारी है कि वह शुद्ध पानी उपलब्ध कराए।

जब यूका परिसर के आसपास का भूजल में हैवी मेटल्स, जहरीले रसायनों व मल-मूत्र बैक्टीरिया पूर्व की जांचों में प्रमाणित हो चुके हैं तो ऐसे में नगर निगम व पीसीबी की जिम्मेदारी बनती है कि वे प्रदूषित पानी का प्रयोग तत्काल रोकें।

– डॉ. सुभाष पांडेय, पर्यावरणविद्


वहां फैक्टरीज में भूजल से खाने का सामान बन रहा होगा और लोग भी भूजल पी ही रहे होंगे, लेकिन अभी तक किसी ने पानी खराब होने की शिकायत नहीं की। भूजल की जांच कराई जाएगी।
– पीएस बुंदेला, क्षेत्रीय अधिकारी, एमपीपीसीबी

 

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