दिग्गज नेताओं पर गिर सकती है गाज
जी हां, ऐसा हो सकता है कि मध्यप्रदेश के बड़े दिग्गज नेताओं पर पार्टी संगठन ही गाज गिरा दे और वे अगले चुनाव में खड़े ही न हो पाएं। ये बात हम इसलिए आपको बता रहें हैं क्योंकि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी पिछले तीन कार्यकाल से सत्ता में बैठी हुई है। कांग्रेस पर लगातार हमला बोलने के साथ पार्टी अपनी अंदरूनी कमियों को भी सुधारने के लिए प्रयास कर रही है। ऐसी ही एक कोशिश हाल ही में की गई जब सरकार के विधायकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार हुआ। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस खुफिया रिपोर्ट के आधार पर ही इस बात का फैसला होगा कि अगला चुनाव कौन लड़ेगा और किसका टिकट कट जाएगा। बड़ी बात ये है कि इस लिस्ट में मध्यप्रदेश भाजपा के कई बड़े नाम हैं।
खूफिया रिपोर्ट में हुआ खुलासा
आपको बता दें कि शिवराज सरकार ने राज्य की सभी 230 सीटों का मिजाज जानने के लिए खुफिया रिपोर्ट तैयार कराई थी। इस रिपोर्ट ने सरकार की परेशानी को कम करने के बजाए बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं नजर आ रही है, लेकिन विधायकों के प्रति नाराजगी और स्थानीय मुद्दों के कारण पार्टी की हालत अच्छी नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 61 विधायक दोबारा चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है। रिपोर्ट में 24 सीटों को भी खतरे में बताया गया है। रिपोर्ट इसलिए भी सही मानी जा रही है, क्योंकि कुछ महीने पहले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के भोपाल दौरे के पहले संघ ने भी ऐसा ही एक सर्वे किया था। जिसके बाद से ही पार्टी ने इन बड़े दिग्गज नेताओं को टिकट न देने का मन बना लिया है।
सिर्फ इनको ही मिलेगा टिकट
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार चौहान का कहना है कि पार्टी उसे ही टिकट देगी जिसके जीतने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने दावा कि चौथी बार शिवराज जी के नेतृत्व में सरकार बनेगी। हालांकि एक बार और गौर करने वाली है कि बतौर मुख्यमंत्री शिवराज के छवि पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है लेकिन मंदसौर, फसलों का सही मूल्य ना मिलना, कमजोर कानून व्यवस्था और विधायकों से नाराज़गी जैसे मुद्दे पार्टी के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं।
साल 2018 में बदल सकते हैं हालात
मध्यप्रदेश विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के पास 165, कांग्रेस के पास 58 और अन्य 7 विधायक हैं लेकिन 2018 में हालात बदल सकते हैं खुद पार्टी के कर्ताधर्ताओं का गणित ये इशारा दे रहा है। पार्टी मानती है कि 61 सीटें ऐसी हैं जिन पर मामला फंस सकता है। हाल ही में हुए उपचुनावों से भी पार्टी को ये इशारा मिला है। पार्टी नेता जहां से भी जानकारी जुटा रहे हैं उन्हें पता लग रहा है कि 60-70 सीटों का गणित बीजेपी के लिये मुश्किल खड़ी रहा है। पार्टी को ये बात पता है इसलिये दफ्तर में साल भर पहले से ही वॉर रूम शुरू हो गया है। चुनाव की तैयारी जोरों पर है।