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मध्यप्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए बनाए पहले ही दांव में उलझ गई कांग्रेस

locationभोपालPublished: May 23, 2018 07:42:19 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

मीनाक्षी नटराजन ने इस्तीफे की पेशकश कर दी, सिंधिया पहले से ही हैं नाराज

devendra

Congress

भोपाल. मध्यप्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस ने जोरदार फार्मूला बनाया था, लेकिन फार्मूला पहले ही दौर में उलटा साबित होते दिखाई दे रहा है। जिस तरह से चुनाव में रणनीति बनाने के लिए समितियां बनाई थीं, उसी तरह से उनको लेकर विरोध शुरू हो गया है। पहले माना जा रहा था कि इन समितियों के सहारे सभी नेताओं का एडजस्ट किया जा सकेगा, लेकिन यह एडजस्टमेंट ही अब भारी पड़ रहा है। एक दूसरे का विरोध करते हुए पूरे प्रदेश में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। सबसे बड़ा इस्तीफा तो राहुल गांधी की करीबी रही मीनाक्षी नटराजन का है। मीनाक्षी पूर्व सांसद भी हैं।
दरअसल, कांग्रेस की समितियों में सबसे बड़ी परेशानी सिंधिया खेमे को हुई है। अभी तक कांग्रेस की तरफ से कहा जा रहा था कि इलेक्शन कैंपेन कमेटी सबसे महत्वपूर्ण होगी, लेकिन अब उससे महत्वपूर्ण कमेटी समन्वय समिति है, जिसका जिम्मा दिग्विजय सिंह को सौंपा गया है। जिसमें उनके कई करीबियों को जगह दी गई है, लेकिन एक नाम ऐसा भी है जिसको लेकर बवाल शुरू हो गया है। या कहें कि समन्वय की संभावनाओं पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं।

कैसे पटरी बैठाएंगे दिग्विजय और सत्यव्रत
कमेटी में पांचवें नंबर पर सत्यव्रत चतुर्वेदी का नाम है। यह वही नाम है, जिसको लेकर आपत्तियां अंदरखाने शुरू हुई हैं। दरअसल, सत्यव्रत और दिग्विजय सिंह के रिश्ते जगजाहिर हैं। ऐसे में सत्यव्रत किस तरह से दिग्विजय के साथ काम करेंगे, इस पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि सत्यव्रत चतुर्वेदी पहले ही सक्रिय राजनीति से सन्यास की घोषणा कर चुके हैं, ऐसे में वह नेपथ्य में रहकर ही अपनी उपस्थिति भर दर्ज कराएंगे।
सिंधिया खेमे की आपत्ति यह है कि जब कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को पोस्टर बॉय दिखाने की बात हुई थी तो उनकी कमेटी को महत्वपूर्ण तरीके से क्यों नहीं बताया गया। दरअसल, कांग्रेस कार्यालय से जारी लिस्ट में कैंपेन कमेटी दूसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर समन्वय समिति हैं। ऐसे में सिंधिया खेमा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। हालांकि सिंधिया खेमे के कई नाम इन कमेटियों में जगह पाने में जरूर कामयाब रहे हैं।

मीनाक्षी के साथ एक विधायक का भी इस्तीफा
समन्वय समिति में राजेंद्र सिंह गौतम को शामिल किए जाने पर बवाल शुरू हो गया है। मीनाक्षी समर्थकों ने इस्तीफों का दौर शुरू कर दिया है। खुद मीनाक्षी नटराजन ने मैनेफेस्टो कमेटी से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें कमेटी में उपाध्यक्ष बनाया गया था।
वहीं उनके समर्थक माने जाने वाले विधायक हरदीप सिंह डंग ने भी एआईसीसी की सदस्यता से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया है कि मंदसौर में कुछ भी करने से पहले पार्टी को मीनाक्षी को भरोसे में लेना चाहिए था।
राजेंद्र गौतम पूर्व जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं और उन्होंने मीनाक्षी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था, इसी के बाद से दोनों के रिश्तों में अदावत शुरू हुई थी।
जो खुद अनुशासन तोड़ते रहे, उनको अनुशासन की कमान
कांग्रेस ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हजारीलाल रघुवंशी को अनुशासन समिति की कमान सौंपी है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यही है कि खुद हजारीलाल को लेकर कांग्रेस के भीतर सवाल खड़े होते रहे हैं। पहले कांतिलाल भूरिया के खिलाफ हजारीलाल मोर्चा खोल चुके हैं।
उसके बाद आए अध्यक्ष अरुण यादव के खिलाफ भी वह पब्लिक में विरोध करते रहे हैं। खुद उनके खिलाफ भी अनुशासन समिति में शिकायत हो चुकी है। ऐसे में अनुशासन तोड़ने वाले को ही अनुशासन की कमान देकर कांग्रेस खुद सवालों के घेरे में खड़ी हुई है।

मध्यप्रदेश में पचौरी जिताएंगे चुनाव
सुरेश पचौरी को मध्यप्रदेश में चुनाव की रणनीति बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। इलेक्शन प्लानिंग और स्ट्रेटजी कमेटी का चेयरमैन उनको बनाया गया है। हालांकि कांग्रेस के भीतर ही इसका विरोध शुरू हो चुका है। दरअसल, उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था और उसके बाद वह खुद भी कभी कोई चुनाव नहीं जीते हैं। ऐसे में उनके विरोधियों ने सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है कि आखिर यह क्या रणनीति बनाएंगे?
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