लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन कर बसपा ने 27 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। इनमें सभी की जमानत जप्त हो गई। मायावती ने शनिवार को दिल्ली की बैठक में पार्टी नेताओं को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष डीपी चौधरी को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि पार्टी के दोनों प्रदेश प्रभारी रामजी गौतम और महेश कार्रवाई से बच गए।
पार्टी सूत्रों के अनुसार बैठक में मायावती ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार को बाहर से समर्थन जारी रखने की घोषणा को दोहराया। उन्होंने विधायक संजीव सिंह कुशवाह और रामबाई से भी मुलाकात की। बताया जाता है कि दस महीने में बसपा ने तीन प्रदेश अध्यक्ष बदल दिए हैं।
किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेगी सरकार
इधर, प्रदेश सरकार भाजपा शासन में किसानों पर धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने जा रही है। प्रदेश मे इन पर 347 एफआइआर दर्ज होना पाया गया है। इनमें 500 से अधिक किसानों के नाम हैं। राजनीतिक लोगों पर दर्ज मामलों को वापस लेने पर भी विचार किया जाएगा। शनिवार को हुई बैठक में इन प्रकरणों की समीक्षा की गई। बैठक में गृहमंत्री बाला बच्चन, विधि मंत्री पीसी शर्मा सहित गृह एवं विधि विभाग के अफसर मौजूद थे।
किसानों पर दर्ज मुकदमों की छानबीन के लिए सरकार ने जिला और राज्य स्तर पर समिति गठित की है। कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति अपनी अनुशंसा के साथ मामले को राज्य स्तरीय समिति को भेजेगी। इसके बाद राज्य स्तरीय समिति इन मामलों पर निर्णय लेगी।
कांग्रेस हुई सक्रिय, उठाएगी खर्च
कांग्रेस भी किसानों के मुद्दों पर सक्रिय हो गई है। किसान कोर्ट में प्रभावी ढंग से अपना पक्ष रख सकें, इसके लिए कांग्रेस पार्टी इनका खर्च उठाएगी। विधि विशेषज्ञों से भी सलाह ली जाएगी।
भाजपा सरकार ने किसानों के साथ दमनकारी नीति अपनाई। किसानों ने हक मांगा तो उन पर लूट, डकैती के मामले दर्ज किए गए। अब कांग्रेस सरकार मुकदमे वापस लेगी।
– पीसी शर्मा, विधि मंत्री
पिछली भाजपा सरकार ने किसानों पर झूठे मामले दर्ज किए थे। कांग्रेस सरकार इन मामलों को वापस लेगी। अन्य राजनीतिक मामले भी वापस होंगे।
– बाला बच्चन, गृहमंत्री, मप्र शासन