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ये 5 बड़ी उम्मीदें- 1- महंगाई की मार से परेशानी। यह केंद्र का विषय, लेकिन जनता को इस मोर्चे पर राहत की उम्मीद। पेट्रोल-डीजल के राज्य के टैक्स में कमी की उम्मीदें।
2- सरकारी विभागों में खाली पदों पर नौकरी की उम्मीद। साथ ही स्वरोजगार के लिए अतिरिक्त मदद की भी अपेक्षाएं।
ये 5 बड़ी उम्मीदें- 1- महंगाई की मार से परेशानी। यह केंद्र का विषय, लेकिन जनता को इस मोर्चे पर राहत की उम्मीद। पेट्रोल-डीजल के राज्य के टैक्स में कमी की उम्मीदें।
2- सरकारी विभागों में खाली पदों पर नौकरी की उम्मीद। साथ ही स्वरोजगार के लिए अतिरिक्त मदद की भी अपेक्षाएं।
3- बिजली, पानी, सम्पत्ति सहित अन्य राज्य स्तरीय टैक्स में छूट की उम्मीद। कमर्शियल टैक्सेस में भी छूट की अपेक्षा।
4- पुरानी सडक़ों की मरम्मत, नई सडक़ों के निर्माण की अपेक्षा, स्मार्ट सिटी के समग्र विकास की उम्मीद, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार की अपेक्षा।
4- पुरानी सडक़ों की मरम्मत, नई सडक़ों के निर्माण की अपेक्षा, स्मार्ट सिटी के समग्र विकास की उम्मीद, इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार की अपेक्षा।
5- सामाजिक मोर्चे पर राहत व नई योजनाओं की उम्मीद। मसलन, सामाजिक पेेशन में बढ़ोत्तरी, कर्मचारी वेतनवृद्धि, दिव्यांग छूट, नई योजनाएं लाई जाएं
---------------------------- 5 बड़ी चुनौती ये-
- कोरोना से बिगड़ी अर्थव्यवस्था और कैसे संभलेे, रोजगार-स्वरोजगार बढ़ाना
---------------------------- 5 बड़ी चुनौती ये-
- कोरोना से बिगड़ी अर्थव्यवस्था और कैसे संभलेे, रोजगार-स्वरोजगार बढ़ाना
- कर्ज बढ़ता जा रहा है, दो साल से अतिरिक्त कर्ज, इसे काबू कैसे करें
- प्रदेश में निवेश को बढ़ाने की चुनौती, वैश्विक निवेश अभी कम - स्वास्थ्य सेवाओं को कोरोना के हिसाब से और मजबूत करना
- इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों को गति देना, सडक़ सहित अन्य मोर्चे अहम
- प्रदेश में निवेश को बढ़ाने की चुनौती, वैश्विक निवेश अभी कम - स्वास्थ्य सेवाओं को कोरोना के हिसाब से और मजबूत करना
- इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों को गति देना, सडक़ सहित अन्य मोर्चे अहम
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इस बार पहला प्रयोग ऐसा- इस बार का बजट पहली बार जनता के सभी वर्गों से पूरी सलाह लेकर तैयार किया जाने वाला होगा। सरकार ने लगभग हर वर्ग से बजट पर सलाह ली है। इसके लिए बकायदा ऑनलाइन सुझाव भी बुलाए गए। ढ़ाई हजार से ज्यादा सुझाव सरकार को मिले थे। इसके अलावा विशेषज्ञों के अलावा विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से भी सुझाव लिए गए।
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इस बार पहला प्रयोग ऐसा- इस बार का बजट पहली बार जनता के सभी वर्गों से पूरी सलाह लेकर तैयार किया जाने वाला होगा। सरकार ने लगभग हर वर्ग से बजट पर सलाह ली है। इसके लिए बकायदा ऑनलाइन सुझाव भी बुलाए गए। ढ़ाई हजार से ज्यादा सुझाव सरकार को मिले थे। इसके अलावा विशेषज्ञों के अलावा विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों से भी सुझाव लिए गए।
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केंद्र ये इन मदों में मिलेगा ज्यादा पैसा, इसलिए इन पर फोकस-
राज्य के बजट को केंद्रीय योजनाओं में मिलने वाली मदद के हिसाब से भी तैयार किया जा रहा है। क्योंकि, केंद्र की योजनाओं के तहत राज्य को अपना हिस्सा मिलाना ही होगा। इस कारण विकास की रूपरेखा इसी आधार पर बन रही है। इसमें जल जीवन मिशन, सडक़ों के निर्माण, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेक्टर, नई शिक्षा नीति, कृषि व सिंचाई संरचना आदि में मुख्य रूप से केंद्रीय मद मिलना है। इस कारण इन्हें विशेष तौर पर फोकस करके काम हो रहा है।
राज्य के बजट को केंद्रीय योजनाओं में मिलने वाली मदद के हिसाब से भी तैयार किया जा रहा है। क्योंकि, केंद्र की योजनाओं के तहत राज्य को अपना हिस्सा मिलाना ही होगा। इस कारण विकास की रूपरेखा इसी आधार पर बन रही है। इसमें जल जीवन मिशन, सडक़ों के निर्माण, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेक्टर, नई शिक्षा नीति, कृषि व सिंचाई संरचना आदि में मुख्य रूप से केंद्रीय मद मिलना है। इस कारण इन्हें विशेष तौर पर फोकस करके काम हो रहा है।
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केंद्र से अटकी राशि वापस लाने पर भी जोर- राज्य सरकार ने वर्तमान वित्तीय सत्र की योजनाओं में केंद्र में लंबित राशि को लाने के लिए मशक्कत तेज कर दी है। दरअसल, अनेक योजनाओं में केंद्र से इस वित्तीय सत्र की पूरी किस्तें नहीं आ पाई है। इस कारण सरकार की कोशिश है कि वित्तीय सत्र खत्म होने के पहले इस सत्र की पूरी राशि आ जाए। इसके लिए संबंधित विभागों को केंद्रीय मंत्रालयों से सीधे सम्पर्क करके जल्द राशि लाने के लिए कहा गया है। अभी मनरेगा, पीएम आवास, कृषि मुआवजा, आपदा राहत, स्मार्ट सिटी, जल मिशन सहित अनेक योजनाओं में राशि लंबित है। इसलिए इनके आवंटन को लेकर लिखा जा रहा है।
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केंद्र से अटकी राशि वापस लाने पर भी जोर- राज्य सरकार ने वर्तमान वित्तीय सत्र की योजनाओं में केंद्र में लंबित राशि को लाने के लिए मशक्कत तेज कर दी है। दरअसल, अनेक योजनाओं में केंद्र से इस वित्तीय सत्र की पूरी किस्तें नहीं आ पाई है। इस कारण सरकार की कोशिश है कि वित्तीय सत्र खत्म होने के पहले इस सत्र की पूरी राशि आ जाए। इसके लिए संबंधित विभागों को केंद्रीय मंत्रालयों से सीधे सम्पर्क करके जल्द राशि लाने के लिए कहा गया है। अभी मनरेगा, पीएम आवास, कृषि मुआवजा, आपदा राहत, स्मार्ट सिटी, जल मिशन सहित अनेक योजनाओं में राशि लंबित है। इसलिए इनके आवंटन को लेकर लिखा जा रहा है।
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जानिए, आपको क्या मिल सकता है और क्या नहीं... व्यापारी - कोरोनाकाल में घाटा झेल चुके व्यापारियों को राहत पहुंचाने की सौगात दे सकते हैं। टैक्स के विवादित मामलों का सुलझाने के लिए एक मुश्त समाधान योजना और भामाशाह योजना को आगे भी लागू रखा जा सकता है। व्यापारियों के लिए यह भी राहत रहेगी कि कोई नया टैक्स स्थानीय स्तर पर नहीं लगाया जाएगा।
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कर्मचारी - कर्मचारियों को डीए और पेंशनर्स को महंगाई राहत का एलान हो सकता है। वर्तमान में केन्द्रीय कर्मचारियों की तुलना में राज्य कर्मचारियों को १२ प्रतिशत कम डीए मिल रहा है। ऐसी ही स्थिति पेंशनर्स की है। नए वित्तीय वर्ष के बजट में कर्मचारियों के लिए 31 प्रतिशत डीए के हिसाब से प्रावधान किए जा रहे हैं। वहीं प्रमोशन न होने से नाराज चल रहे कर्मचारियों को भी साधने के लिए कोई फार्मूला सुझाया जा सकता है।
कर्मचारी - कर्मचारियों को डीए और पेंशनर्स को महंगाई राहत का एलान हो सकता है। वर्तमान में केन्द्रीय कर्मचारियों की तुलना में राज्य कर्मचारियों को १२ प्रतिशत कम डीए मिल रहा है। ऐसी ही स्थिति पेंशनर्स की है। नए वित्तीय वर्ष के बजट में कर्मचारियों के लिए 31 प्रतिशत डीए के हिसाब से प्रावधान किए जा रहे हैं। वहीं प्रमोशन न होने से नाराज चल रहे कर्मचारियों को भी साधने के लिए कोई फार्मूला सुझाया जा सकता है।
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महिला - संभागीय मुख्यालय पर उत्कृष्ट संस्थान बनाए जाएंगे। महिलाएं आत्मनिर्भर हों, इसके लिए महिला स्वसहायता समूहों को नए क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। स्वरोजगार के लिए बैंकों से सस्ता कर्ज का प्रावधान भी होगा। लाड़ली लक्ष्मी योजना का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा। महिला सुरक्षा पर फोकस रहेगा। पोषण आहार का जिम्मा महिला स्वसहायता समूहों को दिया गया है। इसके अलावा इन स्व-सहायता समूहों के स्टार्टअप के लिए भी अलग से प्रावधान रहेगा।
महिला - संभागीय मुख्यालय पर उत्कृष्ट संस्थान बनाए जाएंगे। महिलाएं आत्मनिर्भर हों, इसके लिए महिला स्वसहायता समूहों को नए क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा। स्वरोजगार के लिए बैंकों से सस्ता कर्ज का प्रावधान भी होगा। लाड़ली लक्ष्मी योजना का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा। महिला सुरक्षा पर फोकस रहेगा। पोषण आहार का जिम्मा महिला स्वसहायता समूहों को दिया गया है। इसके अलावा इन स्व-सहायता समूहों के स्टार्टअप के लिए भी अलग से प्रावधान रहेगा।
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युवा - बजट में युवाओं को ध्यान में रखकर रोजगार और स्वरोजगार के लिए प्रावधान किए जाने हैं। सरकार ने एक लाख रोजगार हर महीने देने का वादा किया है। इसके चलते करीब एक दर्जन विभागों में खाली पदों पर नियुक्तियां होना है। इसके लिए भी बजट के स्थापना मद में प्रावधान रखेंगे। वहीं स्वरोजगार के लिए सीएम उद्यम क्रांति योजना इस बार महत्वपूर्ण रहेगी। इसके लिए विशेष तौर पर बजट प्रावधान संभावित है। रोजगार मेलों, तकनीकी प्रशिक्षण सहित अन्य कनेक्टिंग योजनाओं के लिए भी राशि रहेगी।
युवा - बजट में युवाओं को ध्यान में रखकर रोजगार और स्वरोजगार के लिए प्रावधान किए जाने हैं। सरकार ने एक लाख रोजगार हर महीने देने का वादा किया है। इसके चलते करीब एक दर्जन विभागों में खाली पदों पर नियुक्तियां होना है। इसके लिए भी बजट के स्थापना मद में प्रावधान रखेंगे। वहीं स्वरोजगार के लिए सीएम उद्यम क्रांति योजना इस बार महत्वपूर्ण रहेगी। इसके लिए विशेष तौर पर बजट प्रावधान संभावित है। रोजगार मेलों, तकनीकी प्रशिक्षण सहित अन्य कनेक्टिंग योजनाओं के लिए भी राशि रहेगी।
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कृषि - फसल बीमा का लाभ दिलाने पुख्ता व्यवस्था होगी। ओला पाला सहित प्राकृतिक आपदा नुकसान की भरपाई के लिए बजट में राशि बढ़ाई जाएगी। फसल के समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी रहेगी। कृषि उपकरणों की उपलब्धता सहज करने के प्रावधान। ड्रोन का कृषि कार्य में उपयोग का प्रावधान नीति में होगा। खेती के लिए सस्ती बिजली के प्रावधान यथावत रहेंगे। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन के प्रावधान होंगे।
कृषि - फसल बीमा का लाभ दिलाने पुख्ता व्यवस्था होगी। ओला पाला सहित प्राकृतिक आपदा नुकसान की भरपाई के लिए बजट में राशि बढ़ाई जाएगी। फसल के समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी रहेगी। कृषि उपकरणों की उपलब्धता सहज करने के प्रावधान। ड्रोन का कृषि कार्य में उपयोग का प्रावधान नीति में होगा। खेती के लिए सस्ती बिजली के प्रावधान यथावत रहेंगे। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन के प्रावधान होंगे।
-------------------------------- बजट का गणित ऐसा-
- 2.41 लाख करोड़ का बजट मौजूदा वित्तीय सत्र में - 2.17 लाख करोड़ मौजूदा वित्तीय सत्र का शुद्ध व्यय
- 2.5० लाख करोड़ से ज्यादा का बजट अब संभावित
- 2.41 लाख करोड़ का बजट मौजूदा वित्तीय सत्र में - 2.17 लाख करोड़ मौजूदा वित्तीय सत्र का शुद्ध व्यय
- 2.5० लाख करोड़ से ज्यादा का बजट अब संभावित
- 46 हजार करोड़ तक औसत केंद्र से राज्यांश भी मिलता
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