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4 फीट होना चाहिए पैरापिट वॉल, पौने तीन फीट की रैलिंग से चला रहे काम

locationभोपालPublished: Jul 20, 2018 07:07:06 am

Submitted by:

Bharat pandey

अनदेखी: नेशनल बिल्डिंग कोड में विंड प्रेशर से बचने दी गई है गाइडलाइन

building accident

Must be 4 feet parachute wall

भोपाल। मल्टीस्टोरी कैंपस सागर गोल्डन पाम की जिस बालकनी से आठ साल का मासूम नीचे गिरा वहां तीन फीट की पैरापिट वॉल की बजाए पौने तीन फीट की रैलिंग लगी हुई थी। नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक चार मंजिला इमारतों की छत और बालकनी पर कम से कम तीन फीट और इससे अधिक मंजिलों पर चार फीट की पैरापिट वॉल होना अनिवार्य है।

इस जरूरी नियम की जानलेवा अनदेखी कर शहर के ज्यादातर बिल्डर्स अपने प्रोजेक्ट में एक से छठे फ्लोर तक केवल ढाई से पौने तीन फीट की स्टील रैलिंग लगा रहे हैं। महंगी कंस्ट्रक्शन कॉस्ट को कम करने के लिए किए जा रहे इस प्रयोग को आधुनिकीकरण का नाम भी दिया जा रहा है। शहर के आउटर सर्किल कोलार, बावडिय़ाकलां और कटारा हिल्स में लोराइज-हाइराइज के ऐसे 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट हैं जहां इमारतों की छत, बालकनी, कॉमन कॉरीडोर्स और सीढिय़ों पर कमर से नीचे तक पैरापिट वॉल एवं रैलिंग लगाई जा रही हैं।

इस लिए जरूरी है तीन और चार फीट वॉल
बहुमंजिला इमारतों में बालकनी या बाहरी निर्माणों को पैरापिट वॉल से कवर करने का नियम सुरक्षा के लिहाज से बना है। चार मंजिला से ज्यादा ऊ ंची इमारतें में विंड प्रेशर और ग्रेविटी पावर का सिद्धांत लागू हो जाता है। इसके मुताबिक हवा का झोंका और जमीन के नीचे खींचने की ताकत किनारे खड़े व्यक्ति को नीचे गिरा सकती है इसलिए तीन और चार फीट की वॉल अनिवार्य है।

ये कर सकते हैं उपभोक्ता
चार मंजिला या इससे अधिक ऊं ची इमारतों में फ्लैट खरीदते वक्त बारीकी से बालकनी, छत, कॉमन कॉरिडोर्स सहित सीडिय़ों से नीचे उतरने वाले रास्तों पर पैरापिट वॉल की जांच करें। नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक निर्माण नहीं मिलने पर संबंधित डेवलपर्स से इसकी मांग करें। उपभोक्ता यदि फ्लैट खरीद चुके हैं तो ऐसे मामलों में बिल्डर्स के खिलाफ रेरा में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।बिल्डर के खिलाफ आइपीसी के तहत आपराधिक प्रकरण भी दर्ज करवा सकते हैं।

नगर निगम भवन अनुज्ञा शाखा नेशनल बिल्डिंग कोड को लागू कराने वाली संस्था है। एक बार नक्शा पास होने के बाद दोबारा इंजीनियर जांच नहीं करते हैं।
राजेश चौरसिया, आर्किटेक्ट, एमपी स्ट्रक्चरल इंजीनियर एसो.


इस तरह के हादसों में सिर्फ बिल्डिंग मालिक ही नहीं माता-पिता भी जिम्मेदार होते हैं। यह एक मानसिकता है कि किराए का घर है तो हम उसमें बदलाव क्यों कराएं।
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मनोचिकित्सक

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