भेल के चार दशक पुराने आवास जर्जर हो गए हैं, सड़कें बदहाल हो चुकी हैं, पार्कों के रख-रखाव में लापरवाही बरती जा रही है। बाजार और दुकानों के हालात खराब हैं। यहां रहने वाले भेल कर्मचारियों की संख्या कम हो गई है, अतिक्रमण बढऩे से भेल संपदा का बंदर बाट हो रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही शहर का यह मार्डन टाउन किसी भूतिया टाउनशिप में तब्दील हो जाएगा।
रात में चारों तरफ अंधेरा
टाउनशिप के मुख्य सड़कों को छोड़ दें, जहां वाहनों के आने जाने से रात में थोड़ी बहुत भीड़ दिख जाती है, तो टाउनशिप के अंदर का माहौल बेहद भयावह दिखता है। यहां न तो स्ट्रीट लाइट जलती है न ही सुरक्षा गार्ड दिखते हैं। कई आवास लावारिस पड़े हुए हैं। टाउनशिप में रहने वाले कर्मचारियों की संख्या घटने से रात आठ बजे के बाद इलाके में सन्नाटा रहता है। हबीबगंज में स्थित कस्तूरबा अस्पताल भी बदहाली पर आंसू बहा रहा।
कुछ पार्क बंद तो कुछ उजडऩे का कर रहे इंतजार
टाउनशिप की सबसे बड़ी खूबसूरती यहां की हरियाली और विभिन्न सुंदर पार्क हैं। लेकिन इनके भी हालत बहुत ठीक नहीं है। यातायात पार्क, अम्बेडकर पार्क बंद हो गए तो गुलाब उद्यान और आम के बगीचा में पहले जैसी बात अब नहीं दिखती है।
टाउनशिप ऐसी क्यों
सालाना बजट में कटौती,
इस साल का बजट तो अब तक नहीं मिला, विकास कार्य ठप,
भवनों का बुरा हाल, सुविधा के अभाव में टाउनशिप की आबादी निजी कालोनी में जाकर बस गए
राजस्व का नुकसान, सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है
चेक पोस्ट खाली रहते हैं, अतिक्रमण और चोरी की घटना बढऩे लगी है
जिम्मेदारों की लापरवाही, सीवेज और बिजली की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है
करोड़ों की बिजली चोरी
सड़कों का बुरा हाल: भेल की सड़कों का जो हाल अभी है, इससे पहले कभी नहीं रही। बारिश के बाद भेल इलाके की ऐसी कोई सड़क नहीं बची, जिनमें गड्ढे नहीं हैं। लोग परेशान है, पर बजट के अभाव में मेंटेनेंस कार्य नहीं कराए जा रहे।