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ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को बंपर वोट, शहर तक सिमटी भाजपा

locationभोपालPublished: Feb 28, 2019 10:46:06 pm

Submitted by:

anil chaudhary

उज्जैन लोकसभा : विवादित बोल से बिगड़ी सांसद डॉॅ. चिंतामणी मालवीय की छवि

लोकसभा चुनाव 2019

लोकसभा चुनाव 2019

उज्जैन. प्रोफेसर से नेता बने सांसद डॉ. चिंतामणी मालवीय और भाजपा की मुश्किलें विधानसभा चुनाव परिणाम ने बढ़ा दी हैं। ग्रामीण इलाकों में सूपड़ा साफ हो गया। 2013 में उज्जैन लोकसभा क्षेत्र की सभी आठ विधानसभा सीटों में जीत को पार्टी दोहरा नहीं पाई। वह तीन शहरी सीटों तक ही सिमट गई। बांदका में स्टील प्लांट और उज्जैन-फतेहाबाद ब्रॉडगेज लाइन की मंजूरी की उपलब्धियां मालवीय के खाते में हैं, लेकिन उनके बिगड़े बोलों ने मेहनत पर पानी फेर दिया है। कई बार तो उनके बयानों से भाजपा भी असहज हुई है।
सिंहस्थ से देश-दुनिया में ब्रांडिंग के बाद भी उज्जैन जिले की पांच सीटों में हुई हार से भाजपा को बड़ा झटका लगा है। विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ. चिंतामणी मालवीय तीन लाख से अधिक वोटों से जीते थे। पांच साल में कांग्रेस ने तब भी बाजी पलट दी, जब प्रदेश युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू ने नामांकन से ऐन पहले पार्टी छोड़ दी थी। उनके भाजपा में शामिल होने का फायदा पार्टी को नहीं मिला। उनके बेटे अजीत बौरासी की भी करारी हार हुई। इस लोकसभा सीट पर भाजपा की बढ़त घटकर 69 हजार रह गई है।
– बयानों से चर्चित
मालवीय ने संसद में 400 से अधिक सवाल लगाए। 25 डिबेट में हिस्सा लिया, लेकिन अपने काम से ज्यादा बयानों के कारण सुर्खियों में रहे। विधानसभा चुनाव के बाद महाकाल मंदिर में प्रवेश को लेकर सुरक्षाकर्मियों से कथित दुव्र्यवहार ने पार्टी की किरकिरी कराई थी। इससे पहले भी वे विवादित बयान देते रहे हैं।
– वादे पड़ रहे भारी

लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे भी मालवीय पर भारी पड़ रहे हैं। उन्होंने उज्जैन में कृषि महाविद्यालय शुरू कराने की घोषणा की थी। राज्य और केंद्र में सरकार होने के बाद भी वे इसे पूरा नहीं करा पाए। प्रधानमंत्री के आव्हान पर घट्टिया विधानसभा क्षेत्र के बिछड़ौद गांव को गोद लिया था, जो आज भी बदहाल है। ऐसा ही हाल तराना विधानसभा के गोद लिए गांव रूपाखेड़ी का भी है।
– दरक गया भाजपा का गढ़
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित उज्जैन लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। यहां 25 वर्षों में 2009 में ही कांग्रेस से प्रेमचंद्र गुड्डू ने जीत दर्ज की थी। 1984 में इंदिरा गांधी हत्याकांड लहर में कांग्रेस से सत्यनाराण पंवार जीते थे। इसके बाद लगातार डॉ. सत्यनारायण जटिया ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2014 के चुनाव में मालवीय ने कांग्रेस के गुड्डू को हराकर वापस सीट हासिल की थी। अब गुड्डू भाजपा के साथ हैं, फिर भी विधानसभा चुनाव में पार्टी का यह गढ़ दरक चुका है। ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस ने सेंध लगाकर बड़ी जीत हासिल की है। हालांकि, शहरी सीटों पर भाजपा को मिले बंपर वोटों के कारण महज तीन सीट जीतने के बाद भी पार्टी बढ़त पर है।
– मुद्दों से ध्यान खींचा
पहले ही कार्यकाल में इस्पात एवं कोयला समिति में चेयरमैन रहे मालवीय ने मुद्दों से सदन का ध्यान खींचा था। उन्होंने किसानों के नकद भुगतान, नकली बीज कांड, निजी सीबीएसई स्कूलों में फीस बढ़ोतरी जैसे मुद्दे उठाए। उनके द्वारा टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन, जिसमें भारतीय सैनिक द्वारा पाकिस्तान के सैनिक के जूते फटने पर एक निजी कंपनी के लिक्विड से चिपकाता है, इस पर सदन में आपत्ति दर्ज कराई और कंपनी पर मुकदमा चलाने की मांग की। सरकार ने संज्ञान में लेकर विज्ञापन प्रसारण रुकवाया।
00 वर्जन…
सांसद सक्रिय रहे, लेकिन जो काम होने चाहिए थे वह नहीं हो पाए। इस्पात प्लांट का काम शुरू हुए छह-सात साल हो गए, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ।
– अमोल सक्सेना, घट्टिया
सांसद प्रोफेसर रहे हैं। वे बताएं शिक्षा के क्षेत्र में उज्जैन में क्या तरक्की हुई। विक्रम विश्वविद्यालय में व्यवस्थाएं लचर हंै। विक्रम उद्योगपुरी में शिक्षा हब बनने की बात हुई, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
– मुकेश शर्मा, रवींद्र नगर, उज्जैन
उज्जैन-चंद्रावती गेज परिवर्तन में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई का विश्ेाष सहयोग रहा है। फिर भी यह प्रोजेक्ट पर धीमा चल रहा है। सांसद राजनीतिक मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं।
– कैलाश परमार, तराना

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