scriptजगह-जगह बोरिंग कर किया जा रहा अंधाधुंध जलदोहन | business of underground goes uncontrolled | Patrika News

जगह-जगह बोरिंग कर किया जा रहा अंधाधुंध जलदोहन

locationभोपालPublished: Feb 10, 2019 10:32:00 am

नहीं लेता कोई परमीशन, कार वाशिंग सेंटर भी किए जा रहे संचालित, रोजाना बड़े पैमाने पर शहर में की जाती है पानी की बर्बादी…

news

Rural bore illegal boring, police and administration said, not found on the spot boring car

भोपाल. कलेक्टर के आदेश के बाद भी पानी का अंधाधुंध जलदोहन नहीं रुक पा रहा है। कलेक्टर डॉ. सुदाम खाड़े ने यह आदेश जारी किया कि बिना एसडीएम की परमीशन के 31 जुलाई 2019 तक प्राइवेट बोरिंग नहीं किए जाएंगे और बिना अनुमति के नलकूप खनन पर सामान जब्त कर एफआइआर की जाएगी। आदेश के अनुसार बांध, नदी, नहर, जलाशय, जलधारा, झरना, झील, नाला, बंधान, नलकूप और कुएं के पानी का व्यावसायिक व सिंचाई के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध के बावजूद शहर में हजारों टैंकर पानी प्राइवेट बोरिंग्स से दोहन कर बेचा जा रहा है। इसके साथ ही बोर या झील से पानी लेने वाले उद्योगों की सप्लाई भी बंद की जाएगी।

एक प्वाइंट से रोजाना औसतन 50 टैंकर सप्लाई किया जाता है। चूनाभट्टी से कोलार जाने वाले मुख्य मार्ग पर ही आधा दर्जन से अधिक फिलिंग प्वाइंट्स हें। दिन-रात यहां से टैंकर भरकर पानी सप्लाई किया जाता है। इनायतपुर में नगर निगम का वाटर फिलिंग स्टेशन है। इसके सिवा निजी टैंकर संचालक कोलार रोड के अकबरपुर, बैरागढ़ चीचली, नयापुरा आदि स्थानों से बिना शोधित कच्चा पानी सप्लाई करते हैं। चूनाभट्टी से लेकर गोलजोड़ तक 300 से अधिक बोर पानी सप्लाई करने का धंधा कर रहे हैं। ग्राउंड फ्लोर पर पानी देना होता है तो 450-500 रुपए और ऊपरी मंजिल पर पम्प से देना हो तो 600-700 रुपए प्रति टैंकर तक लिए जाते हैं।

कोलार थाने के पास बने नगर निगम कार्यालय से सटे अहाते में भी बोरिंग है, जहां से रोजाना कई टैंकर पानी सप्लाई किया जाता है। पूर्व में शहर के एक पर्यावरणविद् ने शाहपुरा तालाब के साथ आम्रपाली एन्क्लेव चूनाभट्टी, शाहपुरा सी सेक्टर, प्रशासन अकादमी परिसर और पर्यावरण परिसर में लगे ट्यूबवेल्स से पानी के नमूने लेकर कोडिंग के जरिए जांच कराई थी और एप्को से हुई जांंच में सभी नमूने काफी दूषित पाए गए थे।

इस वर्ष 4400 में से 900 हैंडपम्प सूख चुके जो करीब 20 प्रतिशत होते हैं, जबकि फरवरी महीने में यह आंकड़ा 5-7 प्रतिशत ही रहता था। वर्ष 2017 में सामान्य बारिश 921 मिमी के स्थान पर 636 मिमी हुई और वर्ष 2018 में सामान्य वर्षा 1146 मिमी के स्थान पर 795.78 मिमी बरसात ही हुई। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ने 22 जनवरी 2019 को रिपोर्ट में ये आंकड़े देते हुए प्रबल आशंका व्यक्त की थी कि यदि पेयजल स्रोतों का अन्य कार्यों में उपयोग बंद नहीं हुआ तो गर्मियों में पानी की स्थित बिगड़ सकती है।

विगत दो वर्षों में 25 व 26 प्रतिशत बारिश कम होने के कारण जिले का भूजल स्तर अलग-अलग स्थानों पर एक से डेढ़ मीटर तक गिर गया है। इसके सिवा वाटर हार्वेस्टिंग न होने से भी भू-जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है। शहर में करीब चार लाख घर हैं, जिनमें सवा लाख से अधिक घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाना था, लेकिन हकीकत में पांच हजार घरों में भी नहीं लगाए गए। बिल्डिंग परमीशन के समय क्षेत्रफल के मुताबिक वाटर हार्वेस्टिंग के लिए रिफंडेबल धनराशि जमा कराई जाती है, जिसे अकसर कोई वापस लेने नहीं आता है। यह धनराशि दस करोड़ रुपए से अधिक हो गई है।


भू-जल स्तर की स्थिति को देखते हुए पीएचई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए जिले में नई बोरिंग खोदने पर प्रतिबंध लगाया गया है। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पानी की बर्बादी को रोकने के सभी उपाय किए जाएंगे।
– डॉ. सुदाम पी खाड़े, कलेक्टर

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो