5 मार्च तक इस पर दावे-आपत्ति मांगे गए हैं। इसी दिन प्रस्ताव को केंद्रीय मूल्यांकन समिति के पास भेजा जाएगा। 1 अप्रैल 2019 से नई गाइडलाइन लागू होगी। सोमवार को जिला मूल्यांकन समिति की बैठक में जमीनों के रेट बढ़ाने के प्रस्ताव में सीएम कमलनाथ की तरफ से शहर को हॉरिजेंटल विस्तार करने की छाप दिखाई दे रही है।
जमीनों के रेट प्रस्तावित कर दिए हैं। 5 मार्च तक दावे-आपत्ति बुलाए हैं। इसके बाद प्रस्ताव को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के पास भेज दिया जाएगा। – सुदाम खाडे, कलेक्टर भोपाल
रियल एस्टेट सेक्टर में खुशी का माहौल
जीएसटी में छूट से किफायती और निर्माणाधीन घरों को खरीदने वालों को रियायत के लिए अभी अप्रैल तक इंतजार करना होगा। डवलपर्स का कहना है कि अब किफायती मकानों यानी अफोर्डेबल हाउस पर एक फीसदी टैक्स देना होगा। दूसरा पहलू यह है कि डवलपर को इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में जानकार बताते हैं कि प्रॉपर्टी मार्केट में प्रतिस्पर्धा के बीच कीमतों में खास अंतर नहीं आएगा। अफोर्डेबल की खासी मांग: लंबे समय से नई आवास नीति नहीं बनी है।
इससे डेवलपर जरूरत के मुताबिक किफायती मकान तैयार नहीं कर सके हैं। जबकि प्रदेश के शहरों की प्रति व्यक्ति आय दर्शाती है कि राज्य में किफायती आवासों की खासी मांग है।
15% की अनिवार्यता: डवलपर्स प्रोजेक्ट में 15% आवास किफायती दामों के तैयार करवाते हैं। इस तरह के प्रोजेक्ट शहर से बाहर होते हैं, जो जॉब हब से दूर होते हैं। डवलपर्स बताते हैं कि अब सरकार ने स्क्वायर मीटर का दायरा बढ़ा दिया है। काउंसिल ने किफायती दर की परिभाषा सरल की है। छोटे-मझोले शहरों में 90 वर्ग मीटर तक के मकानों को किफायती मानेंगे।
भोपाल में कीमतें
30 वर्गमी. (ईडब्ल्यूएस) 7 लाख
60 वर्गमी. (एलआइजी) 13 लाख
90 वर्गमी. (एमआइजी) 20 लाख
इनपुट टैक्स क्रेडिट
इनपुट क्रेडिट का उपयोग कारोबारी आउटपुट टैक्स देनदारी चुकाने में कर सकते हैं। ये क्रेडिट उसे उस टैक्स पैमेंट के बदले में मिलते हैं, जो उसने पहले माल खरीदने के साथ कहीं चुकाया होता है। चूंकि ये क्रेडिट उसे इनपुट टैक्स के बदले में मिले होते हैं, इसलिए इन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट कहते हैं।
प्रोजेक्ट डवलपर्स के साथ इंवेस्टर को भी राहत मिलेगी। अप्रैल की बजाय रेट घटाने की अवधि एक मार्च से रखी जाती तो लोगों को प्रॉपर्टी सेक्टर में प्लानिंग करने में और भी फायदा मिल सकता था।
देवेन्द्र चौकसे, डायरेक्टर, शालिगराम डेवलपर्स