एमपी में सियासी हलचल के दौरान कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सबसे ज्यादा सक्रिय रहे। हालांकि इस दौरान दिग्विजय सिंह के खिलाफ विरोध के स्वर उठ रहे थे। सरकार जाने के बाद कथित रूप से कमलनाथ ने कुछ पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा था कि दिग्विजय सिंह यह कहते रहें कि विधायक नहीं टूटेंगे और हमने उनकी बातों का भरोसा किया। ये खबर मीडिया में आने के बाद एमपी कांग्रेस में खलबली मच गई थी। उसके बाद कमलनाथ ने सफाई देते हुए कहा था कि मैंने ऐसी कोई बात नहीं की है।
नेता प्रतिपक्ष पर भी सहमति नहीं!
सरकार जाने के बाद से एमपी में कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। चर्चाओं के अनुसार कमलनाथ चाहते हैं कि पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन नेता प्रतिपक्ष बनें। बाला बच्चन शुरू से ही कमलनाथ के गुड बुक में हैं। जबकि दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता डॉक्टर गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष बनें। दोनों में अभी तक नेता प्रतिपक्ष को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। दिग्विजय सिंह का तर्क है कि ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव होना है और ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने के लिए डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष का पद मिलना चाहिए।
सरकार जाने के बाद से एमपी में कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। चर्चाओं के अनुसार कमलनाथ चाहते हैं कि पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन नेता प्रतिपक्ष बनें। बाला बच्चन शुरू से ही कमलनाथ के गुड बुक में हैं। जबकि दिग्विजय सिंह चाहते हैं कि पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता डॉक्टर गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष बनें। दोनों में अभी तक नेता प्रतिपक्ष को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। दिग्विजय सिंह का तर्क है कि ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों पर उपचुनाव होना है और ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने के लिए डॉ गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष का पद मिलना चाहिए।
बागियों पर रार
कांग्रेस में गुटबाजी शुरू से ही हावी रही है। उपचुनाव में टिकट वितरण की जिम्मेदारी कमलनाथ ने अपने हाथों में रखी है। वह हर सीट पर सर्वे करवा रहे हैं, साथ ही जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में हैं। कांग्रेस छोड़ कर गए, कुछ बागियों की वापसी भी करवाने की तैयारी हैं। लेकिन दिग्विजय और अजय सिंह का खेमा इसके विरोध हैं। अजय सिंह ने तो कमलनाथ के सामने इस्तीफे की धमकी तक दे दी थी।
कांग्रेस में गुटबाजी शुरू से ही हावी रही है। उपचुनाव में टिकट वितरण की जिम्मेदारी कमलनाथ ने अपने हाथों में रखी है। वह हर सीट पर सर्वे करवा रहे हैं, साथ ही जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश में हैं। कांग्रेस छोड़ कर गए, कुछ बागियों की वापसी भी करवाने की तैयारी हैं। लेकिन दिग्विजय और अजय सिंह का खेमा इसके विरोध हैं। अजय सिंह ने तो कमलनाथ के सामने इस्तीफे की धमकी तक दे दी थी।
दिग्गी की सफाई
कमलनाथ और दिग्गी के बीच अनबन की खबरें, अब सुर्खियों में हैं। इस बीच दिग्विजय सिंह ने शनिवार को मीडिया में सफाई दी है। दिग्विजय ने कमलनाथ के साथ विवाद की खबरों पर कहा कि कमलनाथ से हमारी दोस्ती 40 साल पुरानी है, ये कभी खत्म नहीं हो सकती है। सारी अफवाहें बीजेपी की तरफ से उड़ाई गई है, हम लोगों के बीच न कोई दरार है और न दरार थी। उपचुनाव में हम सभी सीटें जीते और कमलनाथ ने फिर से मुख्यमंत्री बनें। ऐसे में सवाल यह है कि दोनों नेताओं में जब सब कुछ ठीक है, तो फिर दोनों को सफाई क्यों देनी पड़ रही है। कमलनाथ की सरकार अपने कार्यकाल के दौरान भी गुटबाजी के चक्कर में उलझी रही थी। दिग्विजय सिंह के बारे में कहा जाता था कि सरकार में उनकी दखल ज्यादा है। पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार ने खुलकर कह दिया था कि पर्दे के पीछे से सरकार दिग्विजय सिंह ही चला रहे हैं।
कमलनाथ और दिग्गी के बीच अनबन की खबरें, अब सुर्खियों में हैं। इस बीच दिग्विजय सिंह ने शनिवार को मीडिया में सफाई दी है। दिग्विजय ने कमलनाथ के साथ विवाद की खबरों पर कहा कि कमलनाथ से हमारी दोस्ती 40 साल पुरानी है, ये कभी खत्म नहीं हो सकती है। सारी अफवाहें बीजेपी की तरफ से उड़ाई गई है, हम लोगों के बीच न कोई दरार है और न दरार थी। उपचुनाव में हम सभी सीटें जीते और कमलनाथ ने फिर से मुख्यमंत्री बनें। ऐसे में सवाल यह है कि दोनों नेताओं में जब सब कुछ ठीक है, तो फिर दोनों को सफाई क्यों देनी पड़ रही है। कमलनाथ की सरकार अपने कार्यकाल के दौरान भी गुटबाजी के चक्कर में उलझी रही थी। दिग्विजय सिंह के बारे में कहा जाता था कि सरकार में उनकी दखल ज्यादा है। पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार ने खुलकर कह दिया था कि पर्दे के पीछे से सरकार दिग्विजय सिंह ही चला रहे हैं।