शराब बनाने वाली इकाइयों की निगरानी के लिए जिला निर्वाचन स्तर पर एक निगरानी समिति बनाई जाएंगी। शराब इकाइयों को सरकार ने हर माह कितनी शराब बनाने का लाइसेंस सरकार ने दिया है। वर्तमान में वह कितनी देशी और विदेशी शराब बना रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी आयोग को देनी पड़ेगी। उन्हें यह भी बताना पड़ेगा कि उनके गोदामों में वर्तमान समय में शराब का कितना स्टाक रखा हुआ है। पिछले एक साल के अंदर इन कंपनियों ने कितना माल कहां-कहां सप्लाई किया है, इसकी भी जानकारी देना पड़ेगा। कैमरे के माध्यम से यह निगरानी की जा जाएंगी कि चुनाव के दौरान कही निर्धारित मात्र से ज्यादा तो शराब का निर्माण शुरू तो नहीं कर दिया गया है।
वहीं पुलिस और आबकारी विभाग को यह निर्देश दिए गए हैं कि वह अवैध शराब के भंडारण और परिवहन को रोकें और छापामार कार्रवाई करें। आयोग ने दोनों विभागों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की सीमावर्ती जिलों में इसके नियांत्रण के लिए अभी से चौकियां बनाएं। चौकियों पर कम से कम दो पुलिसकर्मी चौबीस घंटे और सातों दिन तैनात करें। अवैध शराब को लेकर पुलिस की सख्ती भी कुछ इलाकों में देखने को मिली है हालांकि बारिश के कारण कुछ जिलों अवैध शराब का व्यापार तेजी से फैल रहा है। जानकारों का कहना है कि कई कार्रवाई होने के बाद भी पुलिस अवैध शराब पर नकेल नहीं कस पा रही है।