जलाशयों की राजधानी
भोपालPublished: Aug 13, 2023 10:20:29 pm
- वर्ष 1929 के नक्शे के आधार पर भोपाल जिले के 132 तालाबों की जानकारी दी गई है।
- राजधानी में मेजर दो डैम , 21 माइनर डैम और तालाबों की मॉनीटरिंग सिंचाई विभाग के पास,
- 14-15 ताल तलैया इनकी जिम्मेदारी निगम के पास है इससे बनी रहती है हरियाली, रिचार्ज होता है ग्राउंड वॉटर- लेकिन शहरी क्षेत्र में अवैध कब्जे ऐसे ही होते रहे तो एक दिन इनके अस्तित्व पर बढ़ जाएगा खतरा


जलाशयों की राजधानी
भोपाल. राजनीतिक, प्रशासनिक राजधानी ही नहीं जलाशयों की राजधानी भी है। यहां कलियासोत, केरवा जैसे बड़े डैम ही नहीं। 21 माइनर तालाब भी हैं, जिनकी मॉनीटरिंग सिंचाई विभाग करता है। इनकी बदौलत ही शहर से सटे क्षेत्रों में वॉटर लेवल और हरियाली बरकरार है। आस-पास का वॉटर लेवल भी बढ़ा हुआ है। बैरसिया, नजीराबाद, फंदा ब्लॉक में फैले 58 फीसदी जंगल इन्हीं तालाबों की बदौलत आज हरे भरे हैं। भोपाल की आवो हवा का संतुलन भी बनाए हुए हैं। पंचायतों में इन्हीं तालाबों की बदौलत काफी लोग अपना जीवन यापन भी कर रहे हैं। वहीं शहरी क्षेत्र में 14-15 छोटे बड़े तालाब हैं। इनमें से सात बड़े तालाब हैं। इनकी जिम्मेदारी नगर निगम के पास है। आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 1929 के नक्शे के आधार पर भोपाल जिले के 132 तालाबों की जानकारी दी गई है। इनमें से काफी अब डेड हो चुके हैं। वर्तमान में सिंचाई विभाग और नगर निगम को मिलाकर करीब 35 से 36 वॉटर बॉडी हैं, जिनमें भोपाल की जरूरत का काफी पानी है। हालांकि कोलार डैम से भी भोपाल को पानी सप्लाई होता है, लेकिन वह सीहोर में है।