मीकेप्स जफर हसन के मुताबिक एनसीईआरटी के साथ मिलकर हम ये प्रोग्राम संचालित कर रहे हैं। विद्यार्थियों को सही राह दिखाना इसका मुख्य उद्देश्य है। विशेषज्ञों के जरिए विद्यार्थियों को जानकारी दी जाती है। यहां खास बात ये है कि कॅरियर काउंसलिंग के लिए पहुंचने वालों में छात्राओं की भी अच्छी खासी संख्या है। पुराने शहर स्थित मोती मस्जिद के पास इस प्रोग्राम चल रहा है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निशुल्क कोचिंग
जो विद्यार्थी संसाधन के अभाव में आगे शिक्षा नहीं ले पाते उनके लिए भी निशुल्क प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। कई सालों से ये कोचिंग क्लास यहां लगाई जा रही हैं। विद्यार्थियों की मदद के लिए आगे आने वालों में शहर के कई लोग भी इससे जुड़े हैं। हसन ने बताया कि करीब बीस सालों से ये सिलसिला चल रहा है। तालीम को बढ़ावा देने के लिए सगीर बेदार साहब ने इसकी स्थापना की थी।
पुरानी किताबों की अपनी लाइब्रेरी
एक कोर्स पूरा होने के बाद आमतौर पर किताबें या तो रद्दी के भाव बिक जाती हैं या घर में पड़ी धूल खाती रहती हैं। इन किताबों को जरूरतमंद विद्यार्थियों तक पहुंचाने अपनी लाइब्रेरी का एक कान्सेप्ट बनाया गया। मीकेप्स के जरिए हुई इस पहल के तहत एक ऐसी लाइब्रेरी बनाई गई जहां कोई भी किताबें ले जा सकता है और उसे जमा कर सकता है। यहां किताबों का मालिकाना हक दिया जाता है। ताकि ले जाने वाला इनकी हिफाजत करें।