मालुम होकि सुमित्रा परिसर फेस तीन निवासी 17 वर्षीय भव्य बागड़े उर्फ भय्यू पिता परशुराम बागड़े का शरीर गुरुवार की शाम को बिस्तर पर मृत मिला था। कमरा अंदर से बंद था। उसके चेहरे पर पन्नी ढकी थी, जबकि गले पर चुन्नी लिपटी हुई थी। प्राइवेट पार्ट पर लाल रंग का रिबिन बंधा था और वह लैगी व लेडीज टी-शर्ट पहना हुआ था। घटना स्थल की परिस्थिति व साक्ष्य अडोलसेंट सेक्सुअल एस्फेक्सिएशन की तरफ इशारा कर रहे थे। शार्ट पीएम रिपोर्ट में इसका खुलासा भी हो गया।
दोस्तों से कभी नहीं किया जिक्र
पुलिस ने भव्य के साथ पढऩे वाले तीन-चार छात्रों से भी इसको लेकर पूछताछ की है। दोस्तों ने बताया कि भव्य बहुत ही शांत, खुश रहने वाला लड़का था। उसके हाव-भाव से कभी भी इस तरह की विकृति नहीं समझ आई। उसने कभी भी दोस्तों को इसको लेकर चर्चा भी नहीं की है। वह क्रिकेट खेलने को लेकर दोस्तों से अधिक बात करता था।
पुलिस ने भव्य के साथ पढऩे वाले तीन-चार छात्रों से भी इसको लेकर पूछताछ की है। दोस्तों ने बताया कि भव्य बहुत ही शांत, खुश रहने वाला लड़का था। उसके हाव-भाव से कभी भी इस तरह की विकृति नहीं समझ आई। उसने कभी भी दोस्तों को इसको लेकर चर्चा भी नहीं की है। वह क्रिकेट खेलने को लेकर दोस्तों से अधिक बात करता था।
हबीबगंज सीएसपी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि शार्ट पीएम रिपोर्ट मिल गई है। इसमें एरोटिक सेक्सुअल एस्फेक्सिएशन की परिस्थिति के कारण छात्र को आक्सीजन की कमी होने से मौत सामने आई है। मामले की जांच की जा रही है।
एक्सपर्ट व्यू: यह एक तरह का मानसिक विकार यह मानसिक विकार या विकृति है। जिसमें पीडि़त सैक्सुअल एक्साइमेंट को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। अडोलसेंट सैक्सुअल एसफाइक्सिया सिंड्रोम में पीडि़त काल्पनिक दुनिया में चला जाता है। उसे आभास होता है कि उसका पार्टनर उसके साथ है।
अपने पार्टनर के साथ होने का अनुभव करने के लिए पीडि़त अक्सर लड़कियों के कपड़े पहनना, गुप्तांगों को बांधना जैसे काम कर सकते हैं। मेडिको लीगल संस्थान के डायरेक्टर डॉ. अशोक शर्मा के मुताबिक ऐसे लोग अपना अक्सर मुंह पॉलेथिन से बांध लेते हैं। ऑक्सीजन ना मिलने से उत्तेजना कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि जब भी शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होगा उत्तेजना बढ़ जाएगी। यही सेक्स के दौरान होता है। कई बार उत्तेजना इतनी बढ़ जाती है कि पीडि़त इससे बाहर नहीं निकल पाता और उसकी मौत तक हो जाती है।
माता-पिता बच्चों के व्यवहार पर रखें ध्यान
मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने कहा कि हमारे देश में यह आम नहीं है। लेकिन इंटरनेट की आसान पहुंच और सेक्स एजुकेशन पहुंच के कारण यह अब युवाओं तक पहुंच रहा है। बच्चों को इस विकार से बचाने के लिए माता पिता को चाहिए कि अगर उन्हें लगता है बच्चों के व्यवहार में कुछ बदलाव आ रहा है तो उस पर ध्यान दें। तुरंत ही उसका डॉक्टर से चेकअप कराएं
मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने कहा कि हमारे देश में यह आम नहीं है। लेकिन इंटरनेट की आसान पहुंच और सेक्स एजुकेशन पहुंच के कारण यह अब युवाओं तक पहुंच रहा है। बच्चों को इस विकार से बचाने के लिए माता पिता को चाहिए कि अगर उन्हें लगता है बच्चों के व्यवहार में कुछ बदलाव आ रहा है तो उस पर ध्यान दें। तुरंत ही उसका डॉक्टर से चेकअप कराएं