पांच ऐसे मामले भी सामने आए जिनमें आवेदकों द्वारा जमा की गई मार्कशीट सत्यापन के दौरान फर्जी पाई गई। क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी रश्मि बघेल ने ऐसे सभी मामलों की सुनवाई दो दिवसीय पासपोर्ट अदालत में करने के बाद आवेदकों को चेतावनी देकर प्रकरण समाप्त किए। पासपोर्ट अदालत में ढाई सौ आवेदकों को बुलाया गया था। इनकी सुनवाई के दौरान पाया गया कि कई आवेदकों के खिलाफ कोर्ट में प्रकरण लंबित है। 40 फीसदी मामलों में पुलिस ने एड्रेस वेरीफिकेशन की एडवर्स रिपोर्ट भेज दी थी। अन्य मामलों में जन्मतिथि में अंतर होना व अन्य तकनीकी वजहों की वजह से पासपोर्ट आवेदन की फाइल होल्ड की गई थी।
पासपोर्ट से जुड़े जरूरी कानून
- विदेश मंत्रालय के नियमों के मुताबिक केवल पहली पत्नी को ही कानूनी दर्जा प्राप्त है तथा उसका नाम ही पासपोर्ट में दर्ज किया जा सकता है। लिवइन में रहने वाले प्रकरणों में महिला का नाम शामिल करने के निर्देश नहीं है।
- फर्जी मार्कशीट जमा कर आवेदन देने वाले आवेदकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
- पुरुष आवेदक किसी भी रूप में खुद को महिला बताकर आवेदन नहीं कर सकते हैं। यह भी अवैधानिक है।
- विदेश मंत्रालय के नियमों के मुताबिक आवेदक ट्रांसजेंडर श्रेणी में तभी आवेदन कर सकता है। जब स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित फॉर्म पर सर्टिफिकेट ऑफ आइडेंटिटी जारी किया जाए।
आवेदक खुद को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। भौतिक सत्यापन में ये गड़बड़ियां सामने आई हैं। संबंधितों को चेतावनी देकर प्रकरण बंद किए गए है।
रश्मि बघेल, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी